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२०५३
कर हस्त रेखा ज्ञान
श्वेतवर्णप्रभैः कान्त्या नखैर्बहुसुखाय च।
ताप्रवर्णनखा यस्य धान्यपद्यानि भोजनम्॥
जिनके नख की कान्ति सफेद और प्रकाशमान हो उनको बहुत सुख होता है; जिनके नख की कान्ति लाल (ताँबे की तरह) हो उन्हें असंख्य धान्य और भोजन प्राप्त होता है।
सर्वरोमयुते जंधे नरोऽत्र दुःखभाग्भवेत् ।।
मृगजंघे जु राजाह्वो (न्यः) जायते नात्र संशयः॥ जिसके जंघों में (घुटनों के नीचे और फीलों के ऊपर) अधिक रोयें हों वह मनुष्य दुःखी होता हैं। जिसकी जंघा मृग के समान हो वह राजपुरुष (राजकुमार) होता है इसमें सन्देह नहीं।
शृगालसमजंघेन लक्ष्मीशो न स जायते। मीनजंघं स्वयं लक्ष्मीः समाप्नोति न संशयः।
स्थूलजंघनरा ये च अन्यभाग्यविवर्जिताः॥ सियार के समान जंघा वाला धनी नहीं होता, पर मछली के समान जंघा वाला खूब धनी होता है। मोटी जंघा वाला भाग्यहीन होता है।
एकरोमा लभेद्राज्यं द्विरोमा धनिको भवेत्।
त्रिरोमा बहुरोमाणो नरास्ते भाग्यवर्जिताः॥
जिस पुरुष के रोम कूपों से एक-एक रोयें निकले हों वह राजा होता है, दो रोम वाला धनिक और तीन या अधिक रोम वाला भाग्यहीन होता है।
हंसचक्रशुकानां च यस्य तदुर्गतिर्भवेत् ।
शुभदंगादवन्तश्च (?) स्त्रीणामेभिः शुभा गतिः ।।
यदि बाल हंस, चकवा या सुग्गे की तरह हो तो वह पुरुष के लिये अशुभ है; पर यही चाल स्त्रियों के लिये शुभ होती है।