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कर हस्त रेखा ज्ञान
काणं गुलीड़ रेहा पएसिणं लंघिऊण जस्स गया। अखंडिआ अप्फुडिया वरिसाण सयं च सो जियइ ॥ 22 ॥
(काणं गुलीइ रेहा ) कनिष्ठिका अंगुली से प्रारम्भ होकर (पएसिणं लंधिऊण जस्स गया) जो रेखा प्रदेशिनी को पार करती है वह (अखंडिआ अप्फुडिया ) अगर अखण्डित हो, टूटी-फूटी हो तो (सो) वह उसको (सयं च सो जियइ) सौ वर्ष तक जिन्दा रखती है।
भावार्थ----यदि आयु रेखा कनिष्ठिका से प्रारम्भ होकर प्रदेशिनी का भी उल्लंघन करे। और वह रेखा अगर खण्डित न हो और टूटी-फूटी न हो तो वह मनुष्य सौ वर्ष तक जीता है। अर्थात् उसकी आयु सौ वर्ष की होती है ॥ 22 ॥ अन्य आचार्यों का अभिमत
गच्छति
कनिष्ठिका प्रदेशाद्या रेखा तर्जनीम् । अविच्छिन्नानि वर्षाणि तस्य चायुर्विनिर्दिशेत् ॥ 23 ॥
भावार्थ — कनिष्ठा अंगुली के नीचे जो रेखा जाती है, यदि वह तर्जनी तक चली गई हो तो समझना चाहिये। कि इसकी आयु पूर्णायु अर्थात् 120 वर्ष
की है।
कनिष्ठिका प्रदेशाद्या रेखा गच्छति मध्यमाम् । अविच्छिन्नानि वर्षाणि अशीत्यायुर्विनिर्दिशेत् ॥
भावार्थ — वही रेखा यदि मध्यमा अंगुली तक गई हो तो उसकी आयु बिना बाधा के अस्सी वर्ष जाननी चाहिए ।
कनिष्ठिकांगुलेर्देशाद्रेखा अविच्छिन्नानि
वर्षाणि
भावार्थ - वही (कनिष्ठा के अधः प्रदेश से जाने वाली) रेखा यदि अनामिका तक गई हो तो पुरुष की आयु, वे खटके 60 वर्ष की होती है।
गच्छत्यनामिकाम् । षष्ठिरायुर्विनिर्दिशेत् ॥