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भद्रबाहु संहिता
मनुष्य, भूशास्त्र सम्बन्धी तथा भूगर्भ सम्बन्धी वस्तुओं की खोज में बहुत-ज्ञान प्राप्त करते हैं।
इस मानसिक शक्ति के अलावा ये मनुष्य इतने भावुक तथा अपने ऊपर इतना कम अधिकार रखते हैं। कि मनुष्य को अपने कार्यों का विश्वास दिलाने में बहुत मुश्किल पाते हैं इस कारण वे जनता के सम्मुख आने से हिचकते है, और एक ओर खड़े होकर दूसरों को अपने ही विचारों से यश पाते देखते हैं।
बहुत से विद्वान्, कलाकार, संकलन करने वाले इसी समय में उत्पन्न होते हैं तथा इसकी सभी विशेषताएँ वे प्रदर्शित करते हैं। फिर भी मस्तक-रेखा ही यदि साफ हो तो निर्णय यह कहता हैं कि इच्छा शक्ति ऐसे मनुष्यों की स्वाभाविक भावुकता जीतने के लिए तथा उनकी अपनी इच्छाओं को काम में लाने के लिए काफी नहीं हैं।
स्वास्थ्य-ऐसे मनुष्य अक्सर निराशा तथा स्वधर्म पर प्राण त्याग करने की इच्छा रखते हैं तथा खून की खराबी और गठिया रोग से ग्रसित हो जाते हैं।
वे आन्तरिक धक्के जिगर तथा पाण्डु रोग से ग्रसित हो जाते है। जलवायु उनके स्वास्थ्य पर बहुत असर रखती है इसलिए उनको सूखे वातावरण, साफ हवा तथा व्यायाम खूब करना चाहिए साथ ही भ्रमण भी बहुत करना चाहिए।
शुक्र का उभार यह उभार हाथ पर दो स्थान रखता हैं (चित्र 6 भाग 2) पहला स्थान जीवन-रेखा के ऊपरी हिस्से के नीचे तथा दूसरा स्थान मस्तक तथा हृदय-रेखा के बीच में उत्पन्न होता है पहला स्थान शारीरिक और दूसरा मानसिक स्वभाव का द्योतक हैं। पहला स्थान बड़ा हैं और (Positive) हैं तथा यदि यह मनुष्य 21 मार्च से 21 अप्रैल के बीच में उत्पन्न होता है तो अधिक विशेषता रखता हैं क्योंकि (Zodiac) में वर्ष का यह समय शुक्र (Positive) का घर कहा गया हैं। दूसरा स्थान शुक्र (Negative) का होता हैं और यदि मनुष्य 21 अक्टूबर से 21 नवम्बर तक पैदा होता हैं तो अधिक विशेषता रखता हैं क्योंकि (Zodiac) के वर्ष के ये दिन शुक्र (Negative) का स्थान हैं।