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भद्रबाहु संहिता
(5) शुक्र-क्षेत्र-प्रणय, वासना, कला और सहानुभूति। (6) चन्द्र-क्षेत्र—(क) उर्ध्व चन्द्र क्षेत्र से कल्पना और रहस्य, (ख) मध्य
चन्द्र क्षेत्र से स्वार्थ और वासना तथा (ग) निम्न चन्द्र
क्षेत्र से-कलात्मक प्रवृत्ति। (7) मंगल-क्षेत्र (क) प्रथम अथवा ऊर्ध्व मंगल क्षेत्र से—साहस,
सन्तुलन, नियन्त्रण और शक्ति तथा (ख) द्वितीय अथवा
निम्न मंगल क्षेत्र से--हिंसा और क्रोध। (8) राहु-क्षेत्र अथवा मंगल का मैदान-अस्थिरता।
सूर्य के उभार और उसके गुण सूर्य का उभार तीसरी अगुली के नीचे हैं। जब बड़ा तथा अच्छा उभार हुआ होता हैं तो यश, नाम, दूसरों के बीच में चमकने की इच्छा बतलाता हैं। इसका बड़ा होना सदैव अच्छा समझा जाता हैं।
यह सब वस्तुओं में सुन्दरता की इच्छा को प्रकट करता हैं। चाहे वह मनुष्य कलात्मक हो अथवा न हो। यह उभार बड़ा रखने वाले मनुष्य यद्यपि जीवन में सफलता पाते है, तथापि खर्चीले स्वभाव के होते है अपनी इच्छाओं में दयालु तथा रसिक होते है। वे स्वाभाविक ही यशस्वी तथा चमकदार होते हैं, एवं भाग्यशाली, खुश तथा प्रभाव पूर्ण गठन रखते हैं।
जब मनुष्य 21 जुलाई तथा 20 से 28 अगस्त तक के बीच की तारीख में उत्पन्न होता है, तो यह उभार Positive समझा जाता हैं, ऐसे मनुष्य जाति के दिल के समान होते है, और दयालु तथा सहानुभूति दर्शित करने वाले होते हैं। ये मनुष्यत्व तथा चरित्र का बहुत प्रभाव रखते है। और जब वातावरण से प्रभावित होगें, तब साधारण जीवन व्यतीत करने को बाध्य होते हैं। तो सबसे निराला जीवन व्यतीत करते हैं। और उनका साफ रास्ता तथा अच्छा (Personality) मनुष्यत्व निश्चय रूप से चमकता है।
___ यद्यपि वे दूसरों को अच्छे कामों की ओर प्रोत्साहित करने के लिए कुछ रूखे प्रतीत होते हैं। किन्तु वास्तव में वे बहुत ही दयालु तथा सहानुभूति रखने वाले होते हैं। वे सत्य को कुचलने वालों तक को छोड़ देते है, यदि वे उन्हें बुरे