________________
भद्रबाहु संहिता
यदि बुध पर्वत प्रथम मंगल क्षेत्र के ऊपर जाता (पहुँचा ) हुआ प्रतीत हो तो जातक विपत्ति के समय भी अपने धैर्य तथा साहस को नहीं छोड़ता ।
९७८
यदि बुध तथा द्वितीय मंगल दोनों ही क्षेत्र उन्नत हों तो जातक गुणी, बुद्धिमान, धनी, यशस्वी, सुखी तथा जलीय पदार्थों के व्यवसाय द्वारा आजीविकोपार्जन करने वाला होता है।
यदि बुध तथा सूर्य दोनों ही क्षेत्र उन्नत हो तो जातक धनी, सुखी, व्यवसाय - कुशल, सुवक्ता, सुलेखक तथा यशस्वी होने के साथ ही कुछ कृपण, क्रोधी तथा शत्रु बाधायुक्त होता है।
यदि बुध तथा शुक्र- दोनों ही क्षेत्र उन्नत हों तो जातक स्वस्थ, आनन्दी, आध्यात्मिक एवं मानसिक चिकित्सा का प्रेमी तथा अल्प शत्रुओं वाला होता है। यदि बुध तथा गुरु- दोनों ही क्षेत्र उन्नत हों तो जातक सुकवि, सफल साहित्यकार, यशस्वी तथा मनोरंजन - प्रिय होता है। ऐसे व्यक्ति प्रायः ४५ वर्ष की आयु में वैराग्य ले लेते हैं अथवा सांसारिकता से अपने विशेष सम्बन्ध तोड़ लेते हैं ।
मंगल - क्षेत्र - यदि प्रथम मंगल क्षेत्र सामान्य उन्नत हो तो जातक साहसी, उद्योगी, हठी, परन्तु व्यवहार कुशल होता है। यदि द्वितीय मंगल क्षेत्र उन्नत हो तो साहसी, सावधान, धैर्यवान, शक्तिशाली तथा क्षमाशील होता है। यदि दोनों ही मंगल क्षेत्र सामान्य उन्नत हो तो जातक कठोर हृदय, साहसी, क्रोधी, दुर्व्यसनी तथा विषयानुरागी होता है।
मंगल के क्षेत्र
-
यदि प्रथम मंगल क्षेत्र अत्यधिक उन्नत हो तो जातक साहसी, बलवान, चंचल तथा अन्यायी होता है। यदि द्वितीय मंगल क्षेत्र ऐसा हो तो जातक संकोची स्वभाव का, परन्तु अत्यन्त हठी होता है। यदि दोनों ही मंगल क्षेत्र ऐसे हों तो जातक अधर्मी, दुष्ट हिंसक, अन्यायी, निर्दय, व्यभिचारी, युद्धजयी तथा एक से अधिक विवाह करने वाला होता है।