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हस्त रेखा ज्ञान
प्रेम अंगूठे की जड़ से जो कि हाथ मंगल के उभार से ढका होता हैं, प्रदर्शित हैं। तर्क बीच के हिस्से तथा इच्छा सिरे या नाखून के हिस्से से प्रदर्शित हैं जबकि ये हिस्से लम्बे पाये जाते हैं, तो स्वभाव में बढ़े हुए होते है। जब छोटे होते हैं, तो जीवन में बहुत कम विशेषता रखते हैं।
अंगूठे की दो साफ श्रेणियाँ हैं झुके हुए जोड़ का ( ) तथा सीधे दृढ़ जोड़ का (Fig 2 चित्र 3) विस्तृत दिमाग बहुत कुछ चपल जीवन के लक्ष्य में अदृढ़ तथा कोमल और दूसरों के उपयोगी स्वभाव बतलाता हैं। यदि मस्तक-रेखा नीचे की ओर झुकी हुई हो तो ये प्रवृत्तियों बढ़ जाती हैं। यदि मस्तक रेखा सीधी हो तो ये प्रवृत्तियाँ अधिक स्थिर होती हैं।
(Supque Jointed) अगूंठा दिमाग की दयालु दोनों धन और विचार के प्रति प्रदर्शित करता है। सभी दशाओं में ऐसे में ऐसे मनुष्य सीधे दृढ़ जोड़ के अंगूठे वालों से अधिक व्ययी होते है। दूसरे शब्दों में वे जो कुछ करते या सोचते हैं उसमें अधिक देते है।
अंगूठा हाथ की तरह हो या अधिक हथेली की ओर नीचे का बँधा हो तो वह मनुष्य पकड़ने (Grasp) की ओर अधिक झुका होता है। सच्चा कंजूस सदा अंगूठा हाथ की ओर झुका हुआ रखता है। और नाखून का हिस्सा अन्दर की ओर को कुछ झुका हो तो मानो दिमाग पकड़ना या रखना चाहता है।
दृढ़ जोड़ की अपेक्षा लचीले जोड़ के अंगूठे वाले आदमी अपनी इच्छाओं को देने में अधिक प्रभावित होते हैं। जबकि दूसरी प्रकार के ( ) अंगूठे वाले अपनी राय देने में प्रथम विचारते हैं। यदि कोई मनुष्य लचीले अंगूठे वाले को अपने पक्ष में चाहता हैं तो उसे ध्यान रखना चाहिए कि वह समझ के भावुक क्षण में अधिक होता हैं। और यदि कोई अपना लक्ष्य एकदम नहीं बतलाता तो वह मनुष्य प्रथम तो वायदा कर लेता हैं और बाद में विचारने के पश्चात् अपना दिमाग पलट लेता हैं दृढ़ जोड़ वाला अंगूठा (Fig 3 चित्र 3) इसके विपरीत प्रथम तो मनाकर देता हैं। परन्तु बाद में फिर उससे सहमत हो जाता हैं लेकिन यदि वह अपना इरादा बना लेता हैं। तो फिर उसी पर हद हो जाता हैं, और जितना भी उसके खिलाफ कहा जाता हैं, वह अपने विचारों में और भी हद हो जाता