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भद्रबाहु संहिता ।
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नौसिखिये एक अच्छी भाग्य-रेखा के रखने में गलती करते हैं। और फलस्वरूप वे बड़ी उन्नति तथा सफलता की आशा करते हैं। किन्तु जैसा कि पहले अध्याय में बताया गया हैं बिना सूर्य-रेखा के जीवन अन्धकार पूर्ण तथा चिन्तायुक्त होता
सूर्य रेखा के गुण 'किस्मत' के नाम से प्रसिद्ध हैं एक खराब मस्तक रेखा सूर्य-रेखा के साथ में होने से अधिक सफलता की आशा रखती हैं तथा ऐसा ही भाग्य-रेखा के साथ में हैं सूर्य रेखा को रखने वाले मनुष्य दूसरों को आकर्षित करने का गुण तथा दूसरों पर प्रभाव अधिक रखते हैं, वे बहुत आसानी से धन, नाम, जान-पहचान तथा पुरस्कार पा जाते हैं वे एक अधिक प्रसन्न तथा अच्छी स्थिति रखते हैं। और यह स्वाभाविक रूप से ही सफलता में अधिक मदद करती
हैं।
जिस तिथि से भी सूर्य-रेखा हाथ पर दिखाई पड़ती हैं उसी दिन से चीजों में अधिक विशेषता सम्पन्नता तथा चमत्कृतता आने लगती हैं सूर्य-रेखा निम्नलिखित स्थानों से आरम्भ हो सकती हैं।
जीवन-रेखा से भाग्य-रेखा से शुक्र के मैदान से चन्द्रमा के उभार से मस्तक-रेखा से और हृदय-रेखा से या यह अपने ही उभार पर एक छोटी सी रेखा हो सकती
जीवन रेखा से आरम्भ होने से वह उस सफलता को बतलाता हैं। जैसा कि जीवन व्यतीत किया जाता हैं, उससे सफलता मिले न कि भाग्य से (2-2 चित्र 15)
भाग्य रेखा से आरम्भ होने पर यह जीवन की जान-पहचान का निश्चित चिह्न हैं लेकिन वो ( ) जैसा कि उस मनुष्य के प्रयत्न से प्राप्त हुई हैं। (3-3 चित्र 15)
शुक्र के मैदान से शुरू होने वाली रेखा और वह किसी भी अन्य रेखा से न जुड़ी हो तो मुश्किलों के पश्चात् सफलता बतलाती हैं चन्द्रमा के उभार से शुरू होने वाली रेखा (चित्र 4-4 15) सफलता दूसरों के मनोविकारों का अधिक विषय हो यह अधिक परिवर्तन शील तथा अनिश्चित हैं और किसी भी तरीके