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हस्त रेखा ज्ञान
22. मध्यमा तथा अनामिका परस्पर मिली हों— युवावस्था में धनसुख । 23. अनामिका तथा कनिष्ठा परस्पर मिली हों—–वृद्धावस्था में धन सुख । 24. सभी अंगुलियां परस्पर मिली हों— जीवन भर धन-सुख ।
25. कनिष्ठा अनामिका के तीसरे पर्व का स्पर्श करती हो सब भाइयों में अग्रणी तथा स्वपराक्रम से धनी ।
26. सब अंगुलियों को आपस में मिलाने पर बीच में अनेक छिद्र दिखाई दें --- दरिद्रता ।
27. सब अंगुलियों को आपस में मिलाने पर कनिष्ठा तथा अनामिका के बीच छिद्र रहे –वृद्धावस्था में सुख ।
28. सब अंगुलियों को आपस में मिलान पर अनामिका तथा मध्यमा के बीच छिद्र रहे— युवावस्था में सुख ।
29. सब अंगुलियों को आपस में मिलाने पर मध्यमा तथा तर्जनी के बीच छिद्र रहें- - बाल्यावस्था में सुख ।
30. कनिष्ठा अनामिका के तीसरे पर्व तक पहुंचे मातृ पक्ष की सफलता तथा धन वृद्धि ।
31. कनिष्ठा अनामिका के द्वितीय पर्व से आगे बढ़े - 100 वर्ष की आयु । 32. कनिष्ठा अनामिका के द्वितीय पर्व तक पहुंचे 80 वर्ष की आयु । 33. कनिष्ठा अनामिका के द्वितीय पर्व के मध्य भाग तक पहुंचे – 70 वर्ष
की आयु !
34. कनिष्ठा अनामिका के द्वितीय पर्व के मध्य भाग तक पहुंचे – 60 वर्ष की आयु ।
35. कनिष्ठा अनामिका के अन्तिम पर्व तक पहुंचे तथा कनिष्ठा के पर्व लम्बे तथा शुद्ध हों - चिरंजीवी (दीर्घायु) ।
विशेष—कनिष्ठा अंगुली के आधार पर आयु का विचार करते समय उसके पर्वों की शुद्धता पर ध्यान देना आवश्यक है।
भारतीय विद्वानों के मतानुसार स्त्री जातक के हाथों की अंगुलियों की विभिन्न बनावटों का प्रभाव अग्रानुसार होता है