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हस्त-रेखा मान
हो तो जातक फिजूल खर्च, अत्यधिक उदार तथा भावुक होता है एवं प्रत्येक स्थिति में प्रत्येक व्यक्ति के अनुकूल बन जाता है।
35–यदि अंगूठा दोनों स्थानों पर ढीला-ढाला तथा झुका हुआ हो तो जातक अस्थिर-चित्त तथा दूसरों के प्रभाव में आ जाने वाला होता है।
36- यदि अंगूठे का ऊर्ध्व भाग मोटा, पतला एव सर्पाकार हो तो जातक विश्वासघाती तथा स्वयं भी धोखा खाने वाला होता है।
___37–यदि अंगूठा कोमल तथा झुका हुआ हो, चन्द्र क्षेत्र उन्नत हो तथा वहां से एक रेखा निकलकर शुक्र क्षेत्र पर पार हो तो जातक दानी, परोपकारी, धर्मात्मा तथा स्वयं हानि सहकर भी दूसरों की सहायता करने वाला होता है। ऐसा व्यक्ति विदेश यात्रा द्वारा पर्याप्त धनोपार्जन करता है, परन्तु स्वाभाव से कुछ कठोर तथा चिड़चिड़ा होता है।
38-यदि अंगूठा सीधा तथा सुदृढ़ हो, बुध क्षेत्र उन्नत हो तथा हृदय रेखा गुरु क्षेत्र पर पहुंच रही हो तो जातक कुशल व्यवसायी होता है। तथा स्वबुद्धि से पर्याप्त धनोपार्जन करता है।
_____ 39-—बाँयें हाथ के अंगूठे के मध्य भाग में यह-चिन्ह होने पर जातक का जन्म शुक्ल पक्ष में हुआ है यह समझना चाहिए। बाँयें अंगूठे में यह-चिन्ह हो तो कृष्ण पक्ष की रात्री का तथा दोनों अंगूठों में यह चिन्ह हो तो कृष्ण पक्ष में दिन का जन्म समझना चाहिए।
___40--दौंयें हाथ के अंगुष्ठ-मूल में जितने यह-चिन्ह हों, उतनी ही पुत्रियां होती है—यह भी एक मत है।
43-अंगूठे में यह-चिन्ह होने पर जातक धनी होता है। अँगुलियाँ
प्रत्येक हाथ में अंगुलियों की संख्या 4 होती है, जिन्हें क्रमश: (1) तर्जनी, (2) मध्यमा, (3) अनामिका तथा (4) कनिष्ठिका कहा जाता है। अंगुलियों की संख्या न्यूनाधिक हो तो उनका प्रभाव अशुभ माना गया है।
प्राच्यमत से अंगुलियों की विभिन्न स्थितियों का प्रभाव अग्रानुसार होता