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हस्त-रेखा ज्ञान
जानी जाती है (२ चित्र २१) जबकि ये सुन्दर रेखाएँ जीवन-रेखा से निकलती है तो (चित्र २६) के देखने से भ्रमण तथा यात्रा की तिथि जानी जा सकती है।
___ जब यह जीवन-रेखा बढ़ जाती है तथा उसकी एक शाखा चन्द्र के उभार की ओर जाती हो (१ चित्र २१) तो जीवन परिवर्तन तथा भ्रमणों से भरा होता है। ऐसी दशा में यह सम्भव नहीं हो सकता कि यात्रा के पहले ही उसकी ठीक तारीख बताई जा सके। यदि जीवन-रेखा अपने साधारण पथ को छोड़ दे और चन्द्रमा के उभार की ओर चली जाय तो जीवन भ्रमणकारी होता है। वह मनुष्य कहीं नहीं ठहरता और ऐसी दशा में मृत्यु जन्मस्थान से दूर के स्थान पर ही होती
__ यदि जीवन-रेखा से कोई शाखा किसी दूसरी दशा में नहीं जाती लेकिन वह अर्द्धवृत्ताकार होकर मंगल के उभार के चोरों ओर जाती है, तो मेरे जीवन में कोई परिवर्तन या यात्रा नहीं होती और मनुष्य सदा अपने जन्म स्थान में ही होता रहा है (३-३ चित्र २१) यदि भ्रमण-रेखा जीवन-रेखा से निकलती हो और एक छोटे गुणा के चिह्न (Cross) में समाप्त होती है तो यात्रा निराशा समाप्त होती है (४ चित्र २१)।
जब रेखा चतुष्कोण में समाप्त होती है तो मनुष्य को यात्रा में खतरा रहता है किन्तु चतुर्भुज रक्षा का चिह्न होने के कारण वह बच जाता है।
जब रेखा द्वीप में समाप्त हो तो यात्रा हानि में समाप्त होती है (५ चित्र २१) जब भ्रमण-रेखा चन्द्रमा के उभार के पाप या उससे होकर जाती है और जिह्वाकार अथवा वृत्ताकार हो तो ऐसी यात्रा करने से जीवन का खतरा होता है। यदि मनुष्य निम्निलिखित तारीखों में उत्पन्न हो तो उसे समुद्री यात्रा सदा खतरनाक
वालत्तणम्भि सुलह पएसिणी मज्झमंतरयणम्मि।
मज्झिमअणाभियाणत्तरम्मि तरुणत्तणे सुक्खं ॥४॥ (पएसिणीमज्झमंतरघणम्मि) यदि प्रदेशिनी और मध्य की अंगुलियों में घर हो एवं (बालत्तणम्भि) यदि प्रदेशिनी और मध्य की अंगुलियों घनी हो तो (बालत्तणम्भि) बालपने में (सुलह) सुख मिलता है (मज्झिमअणामियाणंत्तरम्मि) और मध्यमा और