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भद्रबाहु संहिता
भावार्थ- - जहाँ मनुष्य गाना गावे वहाँ आकर हथनी या घोड़ी एक महीने या पन्द्रह दिन तक गाना सुने तो उस देश का, हथनी या घोड़ी छह महीने में या एक वर्ष में नाश करेगी ॥ ६१ ॥
सुणहीपणमासेहि
जड़पसवइतोवियाणउप्पादं । गामविणासं ए ए छडे मासेयकुर्व्वति ॥ ६२॥ (जइपसवइतोवियाणउप्पाद) यदि प्रसव में वियाण का उत्पादन हो (सुणहीपणमासेहि) और पाँच महीने तक गाना सुने तो (छडेमासे गामविणासं) छह महीने में ही ग्राम का विनाश ( कुव्वंति ) होगा ।
भावार्थ- यदि दोनों पशु च महीने तक गाना सुनते रहे तो समझो उस देश का छह महीने में नाश हो जायगा || ६२ ॥
जहछेलएहि गीढो
मज्जारो । पिक्खिय एयणिमित्तं गावविणासं णिणायव्व ॥ ६३ ॥
कुक्कूरोमूसहि
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( जहछेलएहि गीढो कुक्कूरो) जहाँ गीदड़, कुर्ते और (मूसएहिमज्जारो ) चूहे, बिल्ली को (पिक्खियएयणिमितं) देखते ही भगा देवे तो उस (गावविणासं णिणायचो) गाँव का विनाश होगा ऐसा समझना चाहिये ।
भावार्थ -- जहाँ गीदड़, कुत्तें और चूहे बिल्ली को देखते ही भगा देवे तो समझो उस गाँव का विनाश होगा, ऐसा समझना चाहिये ॥ ६३ ॥
जइसुक्खोवियरूक्खो उल्लहमाणोयदीसई गामेवाणयरेवा तत्थ विणासं
जत्थ ।
तिणायव्व ॥ ६४ ॥
( जइसुक्खोवियरूक्खो ) यदि सूखा वृक्ष होने पर वह ( उल्लहमाणोयदीसई जत्थ) अकस्मात् गिरता हुआ दिखे तो (गामेवाणयरेवात्तत्थ ) ग्राम या नगर का (विणासंतिणायव्वो) विनाश होगा ऐसा जानना चाहिये ।
भावार्थ — जिस गाँव में सूखा वृक्ष अकस्मात् गिर पड़े तो उस ग्राम या नगर का अवश्य नाश हो जाता है ।। ६४ ॥
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