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भद्रबाहु संहिता |
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भावार्थ-यदि अचनाक कोई आकर पूछे कि घर छा लिया क्या और कपड़े पहने पर भी ठण्डी मालूम पड़े, पड़ों का पानी गरम लगने लगे तो समझो आजकल में ही वर्षा होगी ।। २८॥
सूहापीययवण्णा मंजिठाराय सरिस वण्णा।
चारत्ता नीलयवण्णा वार्य वरिसं णिवेदेहि॥२९॥ (सूहापीययवण्णा) सूर्यास्त के समय वा सूर्योदय के समय यदि आकाश पीले वर्ण का हो या (मंजिठारायरिसवण्णा) मंजिठ्ठ वर्ण का हो (चारत्ता नीलयवण्णा) अथवा नील वर्ण का हो तो (वायं वरिसंणिवेदेहि) वायु चलकर वर्षा होगी, ऐसा समझो।
भावार्थ-यदि सूर्यास्त वा सूर्योदय के समय में आकाश पीले वर्ण का हो जाय मंजिठ्ठ वर्ण का अथवा जाय तो नील वर्ण का हो जाय तो समझो वायु चलकर वर्षा होगी।। २९॥
णुप्पयवण्णसरिच्छाद्विकत्तिज्जसण्णिवेदेति
णियह धूसर वण्णा पाही मरणं णिवेदेहि॥३०॥ (णुप्पयवण्णसरिच्छा) यदि तम्बाकू के रंग का आकाश हो जाय या (द्विकत्तिज्जसण्णिवेदेति) दो या तीन वर्ण का हो (णियहधूसरवण्णा) या धूसर वर्ण का हो तो (पाही मरणं णिवेदेहि) मरण से बचाओ ऐसे शब्द सुनाई पड़ेगे।
भावार्थ- यदि आकाश का वर्ण तम्बाकू वर्ण का या दो तीन वर्ण का हो जाय अथवा धूसर वर्ण का हो जाय तो मरण से बचाओ ऐसे शब्द सुनाई पड़ेंगे, क्योंकि वर्षा नहीं होगी।। ३०॥
अहखंडभिण्णभिण्णा गोमुत्तसरिच्छ कपडवण्णाभा।
स कुणइ राइमरणं मंदं वरिसंणिवेदेहि॥३१॥ (अहखंडभिण्णभिण्णा) यदि बादल खण्ड-खण्ड दिखे (गोमुत्तसरिच्छ कपडवण्णाभा) और गोमूत्र की आभा वाले दिखे तो (स कुणइराइ मरणं) वह राजा का मरण करता है (मंदं वरिसंणिवेदेहि) और थोड़ी-थोड़ी वर्षा करता है।