________________
८२५
निमित्त शास्त्रम्
निमिस के साधन सूरोदय अच्छमणे चंदमसरिक्खमग्गह चरियं।
तं पिच्छियं णिमित्तं सव्वं आएसिंह कुणहं ॥६॥ (सूरोदय अच्छमणे) सूर्य के अस्त होने पर (चंदमसरिक्खमग्गह चरियं) चन्द्रमा के उदय में तारा नक्षत्र ग्रह के संचार को देखकर (तं पिच्छियं णिमित्तं सव्वं) निमित्त ज्ञानी को सब जान लेना चाहिये।
भावार्थ—सूर्य के अस्त होने पर चन्द्रमा के उदय में ग्रह नक्षत्र तारा आदि को देखकर निमित्त ज्ञानियों को सब जानना चाहिये।। ६ ।।
आकाश प्रकरण सूरोय उयव्वमणो रत्तुप्पलवण होव्व दीसिज्ज।
सो कुणइ रायमरणं मंत्तीपुत्रं विणासेई॥७॥ (सूरोय उयव्वमणो) सूर्योदय के समय (रत्तुप्पलवण होच्चदीसिज्ज) सब दिशाएँ लाल रंग की दिखे तो (सो कुणइरायमरण) वह राजा का मरण करती है (मंत्तीपुत्तविणासेई) और मन्त्री पुत्र का भी मरण करती है।
भावार्थ—सूर्योदय के समय में यदि दिशा-विदिशा सब लाल वर्ण की दिखे तो समझो राजा और मन्त्री पुत्र दोनों का ही मरण होगा॥७॥
स सलोहि वण्णहोवरि संकुणइत्ति होइणायव्वो।
संगामपुण योरं खगं सूरोणिवेदेई ।। ८॥ (ससलोहि वण्णहो) सूर्योदय के समय में यदि दिशाएँ माणक के समान लाल वर्ण की हो जाय तो (संकुण इत्ति होइणायव्वो) ऐसा जानना चाहिये कि (संगामपुण पोरं) वहाँ पर घोर संग्राम होगा, (खग्गंसूरोणिवेदेई) तलवारें चलेगी ऐसा निवेदन किया है।
भावार्थ-सूर्योदय के समय में यदि दिशाएँ माणक के समान लाल वर्ण की हो जाय तो ऐसा जानो, कि वहाँ पर तलवारों से भयंकर युद्ध होगा ऐसा निवेदन किया है।। ८॥