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________________ परिशिष्टाध्याय. 491 लाक्षा; कुंकुम, गोरोचना इत्यादि विधियों से आयु की परीक्षा करने के उपरान्न चक्र द्वारा आयु परीक्षा की विधि का निरूपाश बरत हैं। सोलह दल का एक कमल तर या इन कमक बाहर भी सोलह दल का एक दूसरा कमल बनाना चाहिए । बाह्म कमल के पत्तों पर अ आ आदि मूल स्वरों की स्थापना करनी चाहिए । 'भीतर बाल कमल के पत्तों पर वर्षों की तथा वाहर वाले कपल के पत्तो पर महीनों की स्थापना करनी चाहिए। मणियाओं में 10 दिवसों की स्थापना करनी चाहिए । इरर प्रकार निर्मित चक्र की एक सप्ताह तक पूजा करनी चाहिए, पश्चात उस निरीक्षण कर शुभाशुभ फन्न की जानकारी प्राप्त करने की चेप्टा करनी चाहिए ।।।78-1500 यहले चाक्षर लुप्तं ताहने नियते ध्रुवम् । वर्ष भासं दिन पश्येत स्वस्थ नाम परस्य वा11811 निरीक्षण करने पर जिम तिथि, मास या अपंको स्थापना वाल दल काम्बर लुग्न हो, उसी तिथि, नाम और वर्ष में अपनी या अन्य व्यक्ति की जिम लिए परीक्षा की जा रही है. मृत्यु गमलनी चाहिए ॥४॥ यदा वर्ण न लुप्तं स्यात्तदा मृत्युन विद्यते। वर्ष द्वादशपर्यन्तं कालज्ञानं विनोदितम 1821 यदि यो भी घर लुप्त न हो तो जिमाया सायन्ध में विचार किया जा रहा है. जगणी मृत ही होती । दम द्वारा भारत वर्ष आयु का ही नान किया जाता है।।18211 प्रभनवम्प्रदाश्विनी भरण्यापहारिणी। प्रदाग्निदेवते प्रतश्वरे सादये।।।। अश्विनी नमन ग नवीन वरना बहुन बम्ब मिनते हैं, भरगी में गयीन चत्र धारण नागने अर्थ की हानि होती है, बलिया में नवीन वस्त्र धारण नंग वस्त्र दयता, गरिणी में नवीन वस्त्र धारण करने में धन प्राप्ति होती है ।।।8311 मृगे तु मश्काभयं व्यसत्वमेव करे। पुनर्वसी शुभागमन्तदनों धर्यु ति: ।। 18431 मग नवी व धा! 1.73 में नया कर चूहा के पाटन या गय, आनधीन यम्भ धारण गु, ' JI मयान धारण करन स शुभ को प्राप्ति और यम बरा करने से लाभ होता . 111 .॥
SR No.090073
Book TitleBhadrabahu Sanhita Part 1
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages607
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size13 MB
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