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भद्रवाहुसंहिता
है। इस सिद्धान्त के अनुसार स्वप्न में देवी गई थुछ अतृप्त इच्छाएँ सत्य रूप में चरितार्थ होती है। क्योंकि बहुत समय में कई इच्छाएं अज्ञात होने के कारण स्वप्न में प्रकाशित रहती हैं और ये ही इच्छाएं किसी कारण से मन में उदित होकर हमारे तदनुरूप कार्य करा सकती हैं। मानब अपनी इच्छाओं के बल से ही सांसारिक क्षेत्र में उन्नति या अवनति करता है, उसके जीवन में उत्पन्न इच्छाओं में कुछ इच्छाएँ अप्रस्फुटित अवस्था में ही विलीन हो जाती हैं, लेकिन कुछ इच्छाएं परिपक्वावस्था तक चलती रहती हैं। इन इच्छाओं में इतनी विशेषता होती है कि ये विना तृप्त हुए लुप्त नहीं हो सकतीं । सम्भाव्य गणित के सिद्धान्तानगार जब स्वप्न में परिपक्वावस्था वाली अतप्त इच्छाएं प्रतीकाधार को लिये हुए देखी जाती हैं, उस समय स्वप्न का भात्री फल सत्य निकलता है । अवाधभावानुसंग में हमारे मन के अनेक गुप्त भाव प्रतीकों से ही प्रकट हो जाते हैं, मन की स्वाभाविक धारा स्वप्न में प्रवाहित होती है, जिसमा स्वप्न में मन की अनेका चिन्ताएं गंधी हुई प्रतीत होती हैं। स्वामी साथ सोफाष्ट मन की जिन चिन्ताओं और गुप्त भावों का प्रती गाभारा मिलता है, वही स्वप्न का अव्यक्त अंश भावी पाल के रूप में प्रगट होता है। अस्तु, उपलब्ध सामग्री के आधार पर कुछ स्वप्नों के फल नीचे दिये जाते हैं।
अस्वस्थ-- अपने सिवाय अन्य किसी को अस्वस्थ देखने मे कष्ट होता है और स्वयं अपने गो अस्वस्थ देखने में प्रसन्नता होती है। जी ० एच० मिलर के मत स, स्वप्न में स्वयं अपने को अस्वस्थ देखने से स्त्रियों के साथ मेलमिलाप बढ़ता है एवं एक पास के बाद स्वप्नद्रष्टा को कुछ शारीरिक कष्ट भी होता है तथा अन्य को अश्वस्थ देखने द्रष्टा शीत्र रोगी होता है। डॉक्टर सी० जे० बिटवे के मतानुगार, अपने को अवश्य देखने से सुख-शान्ति और दूसरे को अरबस्थ देखने में विपनि होती है। शुकगत के सिद्धान्तानुसार, अपन और दूसरे को अस्वम्श्य देखना रोगगुचक है। विवलोनियन और पृथगनोरिया के सिद्धान्तानुमार, अपने को अस्वस्थ दाना नीरोग गुचक और दूसरे को अस्वस्थ्य देखना पुल-मित्रादि के रोग को प्रकट करने वाला होता है। ___आवाज : स्वप्न में किसी विचित्र आवाज को स्वयं सुनने से अशुभ सन्देश सुनने को मिलता है। यदि स्याप्न की आवाज सुनकर निद्रा भंग हो जाती है तो मारे कार्यों में परिवर्तन होने की ग़म्भावना होती है । अन्य किसी की आबाज गुनत हा दराने में और स्त्री को कष्ट होता है तथा अपने अति निकट
टुम्बियों को वाअ गुनत हु। दयने में किसी आमीय की मृत्यु प्रकट होती है । टार जी. एच. मिलर मत मावाज सुनना भ्रम का द्योतक है।
र यदि स्वप्न में कोई चीज अपने ऊपर लटवाती हुई दिखाई पड़े और उस के मिरत का सन्देह हो तो शत्रुओं के द्वारा धोखा होता है। ऊपर गिर जाने