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भद्रबाहुसंहिता
तिथि विशोपक-प्रतिपदा 18, द्वितीया 20, तृतीया 22, चतुर्थी 24, पंचमी 26, षष्ठी 25, सप्तमी 23, अष्टमी 21, नवी 19, दशमी । 7, एकादशी 15, द्वादशी 13, त्रयोदशी 11, चतुर्दशी 9, अमावस्या 9, पूर्णिमा । 6 । ___वार-रविवार 40, सोग 50, मंगल 50, बुध 72, गुरु 65, शुऋ 24, शनि 141
तेजी-मन्दी निकालने की तिथि- जिस मास की या जिस दिन की तेजी-मन्दी निकालनी हो, उस महीन पी संक्रान्ति का विशोपक ध्र वा, तिथि, वार और नक्षत्र के विशोषक ध्र वाओं को जोड़ 3 का भाग देने से एक शेष रहने से मन्दी, वो शेष में समान और शून्य शेष में तंजी होती है ।
तेजी-मन्दी निकालने का अन्य निधन - गहूँ की अधिकारिणी राशि कुम्भ, सोना की मप. मोती की मीन. चीनी को कुम्भ, चावल की भेष, ज्वार की वृश्चिक, मलाई को मिथन और चांदी की कर्क है। जिस वस्तु की अधिकारिणी राशि से चन्द्रमा नौथा, आटवाँ तथा बारहा हो तो वह वस्तु तेज होती है, अन्य राशि पड़ने से शस्ती होती है ।
मूर्य, मंगल, शनि, राहु, केतु ये क्रूर ग्रह हैं । ये ऋर ग्रह जिस वस्तु की अधिकारिणी राशि में पहले, दूसरे, चौथ पांचवें, सातवें, आर, नौ, और बारहवें जा रहे हों, वह वस्तु तेज होती है। जिनमें क्रूर ग्रह उपर्य क्त स्थानों में जाते हैं, उतनी ही वस्तु अधिक तेज होती है ।
षड्विंशतितमोऽध्यायः
नमस्कृत्य महावीरं मुरासुर जनैनंतम् ।
स्वप्नाध्यायं प्रवक्ष्यामि शुभाशुभसमीरितम् ॥1॥ देव और दानवों के द्वारा नमार किये गये भगवान महावीर स्वामी को नमस्कार नागभागभ म युक्त स्वप्नाध्याय का वर्णन करता हूँ ।"
1. माकम्
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