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भद्रबाहुसंहिता
है। केवल सोना, चांदी और गुड़ के व्यापार में अच्छा लाभ होता है। गुड़, चीनी में कई गुना लाभ होता है । यदि इसी पूर्णिमा को बुध वक्री हुआ हो तो छ: महीने तक सभी पदार्थों में तेजी रहती है। जो पदार्थ विदेशों से आते हैं, उनका भाब अधिक तेज होता है। स्थानीय स्तरन्न पदार्थों का भाव अधिक तेज होता है। श्रावणी पूर्णिमा को आकाश निमंल हो तो सभी वस्तुओं में अच्छा लाभ होता है। यदि इस दिन स्वच्छ चाँदनी आकाश में व्याप्त दिखलाई पड़े तो नाना प्रकार के रोग फैलते हैं तथा लाल रंग की सभी वस्तुओं में तेजी आती है। गेहूं और चावल की कमी रहती है। जिस स्थान पर श्रावणी के दिन चन्द्रमा स्वच्छ तथा काले छेदवाला दिखलाई पड़े, उस स्थान में दुर्भिक्ष के साथ खाद्यान्न की बड़ी भारी कमी हो जाती है, जिसमें सभी व्यक्तियों को कष्ट होता है। लोहा, चांदी, नीलम आदि बहुमूल्य पदार्थों का भाव भी तेज होता है 1 भाद्रपद मास की पूर्णिमा निर्मल होने पर धान्य का संग्रह नहीं करना चाहिए 1 यदि यह पूर्णिमा चन्द्रोदय से लेकर चमास्तम निर्म मामला नहीं होता है तथा खाद्यान्नों की कमी भी नहीं रहती है । सोना, चांदी, शेयर, चीनी, गुड़, घी, किराना, वस्त्र, जून, कपास आदि पदार्थ समर्थ रहते हैं। इन पदार्थों के भावों में अधिक ऊंच-नीच नहीं होती है। घटा-बढ़ी का कारण शनि, शुक्र और मंगल हैं। यदि हम पूर्णिमा के नक्षत्र को इन तीनों ग्रहों द्वारा वेधा जाता हो, या दो ग्रहों द्वारा देधा जाता हो तो सभी पदार्थ महंग होते हैं । और तो और मिट्टी का भाव भी महंगा होता है। जिन पदार्थों की उत्पत्ति मशीनों के द्वारा होती है, उन पदार्थों में कार्तिक मास में महंगाई होना आरम्भ होता है । आश्विन पूर्णिमा के दिन आकाश स्वच्छ, निर्मल हो तो धान्य का संग्रह करना अनुचित है। क्योंकि वस्तुओं में लाभ होने की सम्भावना ही नहीं होती है। आकाश में मेघ आच्छादित हों तो अवश्य संग्रह करना चाहिए, क्योंकि इस खरीद में चैत्र के महीने में लाभ होता है।
कानिक पूर्णिमा को मेघायल होने पर अनाज में लाभ होता है। चीनी, गुड़ और धी में हानि होती है। यदि यह पूर्णिमा निर्मल हो तो सामान्य तथा मभी वस्तुओं का भाव स्थिर रहता है। व्यापारियों को न अधिक लाभ ही होता है और न अधिक पाटा ही। मार्गशीर्ष और पौष को पूर्णिमा का फलादेश भी उपर्युक्त कातिक पूर्णिमा के तुल्य है। माघी पुणिमा को बादल हों तो धान्य खरीदने से मानवें महीने में लाभ होता है और पाल्गुनी पूर्णिमा को बादल हों, उल्कागात या विध पात हो तो धान्य में नातवें महीने में अच्छा लाभ होता है । घी, चीनी, गुड़, कपास, रूई, जूट, मन और पाट के व्यापार में लाभ होता है । माघी और फाल्गुनी इन दोनों पूणिमाओं के स्वच्छ होने पर सोने के व्यापार में लाभ होता है।