________________
विशतितमोऽध्यायः
363
व्यवसायियों को दुना लाभ होता है। सोना चार चाँदी में नागार में साधारण लाभ होता है। तांदा और पीपल के भाव अधिक तज होते हैं । अस्त्र-शस्त्र तथा मशीनों का मूल्य भी बढ़ता है। बश्चिक राशि पर चन्द्रग्रहण हो तो गभी वर्ण के व्यक्तियों को कष्ट होता है। पंजाब निवासियों को हैजा और चेचक का प्रकोप अधिक होता है। बंगाल, बिहार और आसाम में विषले ज्वर के कारण सहनों व्यक्तियों की मृत्यु होती है। सोना, चांदी, मोती, माणिक्य, हीरा, गोमेद, नीलम आदि रत्नों के सिवा साधारण पापाण, सीमेण्ट और चना के भाव भी तेज होते हैं । बी. गुड़ और चीनी का भाव मस्ता होता है। यदि वृश्चिक राशि पर चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण दोनों हों तो वर्षा की कमी रहती है । फमाल भी सभ्य रूप से नहीं होती है, जिसमें अन्न की कमी पड़ती है। धन राशि पर चन्द्रग्रहण हो तो वैद्य, डॉक्टर, व्यापारी, पोडों एवं यवनों को शारीरिक कष्ट होता है। धन राशि २ ग्रहण में देश में अर्थसबाट व्याप्त होता है, फाल उत्तम नहीं होती है । पुनिज पदाथ, बना और अन्न सभी की कमी रहती है 1 फल और तरकारियों की की क्षति होती है । यदि इसी राशि पर सूर्यग्रहण हो और शनि से दृष्ट हो तो अटक मु कटक तर तथा हिमालय कन्याकुमारी तक बदंगों में आर्थिक संकट रहता है। राजनीति में भी उथल-पुथल होती है । कई गज्यों के मन्त्रिमानों में परिवर्तन होता है । मकर राशि पर चन्द्रग्रहण हो तो नट मन्त्रवादी, कवि, लग्यक और छोटे-छोटे व्यापारियों को शारीरिक कष्ट होत हैं । कुम्भ राशि पर ग्रहण होन ग अमीरों को काट तथा पहाड़ी व्यक्तियों को अनेक प्रकार काष्ट होन है। आसाम में 'भका भी होता है। अग्निभय, शस्त्र'भय और नीराय सममा दंगकी विपन्न गाना है। मीन राशि पर चन्द्रग्रहण होने ग अलजन्न, जग भाजीविना करने वाल, नावित यं अन्य इसी प्रकार का व्यक्तियों को पीड़ा होती है ।
नक्षत्रानुसार चन्द्र ग्रहण का फल- अग्विनी नक्षत्र में चन्द्रग्रहण हो सो दान वाले अनाजमंग उन द, चना अरहर आदि महें, भरणी में ग्रहा हो तो ग्यत वस्त्र का व्यवसाय में तीन माग में लाभ; कपाग, म.ई, गुज, जूट, आदि में दार महीनों में ला और ऋतिका में हो तो गुवणं, चाँदी, प्रवाल, मुस्ता, माणिाय में लाभ होता है 1 उक्त दिनों का नक्षत्रों में ग्रहण होने स धर्पा माधारणत. अनछी होती है। प्रष्टि के कारण थिमी प्रदेश में वर्षा अच्छी और किसी में नम होती है। रोहिणी नक्षः भ ग्रहण होने पर मागास, रू. जूट और पाट क संग्रह में नाम; मृगशिरा नक्षत्र में ग्रहण हो तो लाग्य, रंग एवं क्षार पदार्थों में लाभ; आद्रां में ग्रहण हो वो भी. गुड़ और चीनी आदि पदार्थ महंग; गुनर्वग नक्षत्र में ग्रहण हो तो नेल, तिलग, मगफली और चना में लाभ; पुष्य नक्षत्र में ग्रहण हो तो महूं, चायन जी श्रीन वार आदि अनाजों में लाभ; मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तमहालगना और हस्त, इन चार नक्षत्रों में ग्रहण हो ना कना, गेहूँ, गुड़ और जी म लाभ; चित्रा में