________________
254
भद्रबाहुसंहिता
की प्रतिगा से पसीना निकले तो अममम की हानि, कृष्ण की प्रतिमा से पसीना निकले तो सभी जातियों को कष्ट; सिद्ध और बौद्ध प्रतिमाओं से धुआँ सहित पसीना निकले तो उभ प्रदेश के ऊपर महान् कष्ट, चण्डिका देवी की प्रतिमा से पसीनां निवाले तो स्त्रियों को काट, वाराही देवी श्री प्रतिमा म पनीना निकले तो हाथियों का ध्वंस: नागिन देवी की प्रतिमा ध्रुओं सहित पसीना निकले तो - गर्भनाश; राम की प्रतिमा ग पमीना निकले तो देश में महान् उपद्रव, जूट-पाट, धननाश; मीता या पार्वती की प्रतिमा में यमीना निकले तो नारी-समाज को महान कप्ट एवं मूर्य की प्रतिगा पसीना निकले तो संसार को अत्यधिक वट और उपद्रव गहन करने पही हैं। यदि तीर्थकर की प्रतिमा भग्न हो और उममें अग्नि की जाट या रक्त की धारा निकलती हुई दिखलायी बड़े तो संसार में मार-काट निश्चय होती है। आपम में मार-काट हुए बिना किसी को शान्ति नहीं मिलती है। किसी भी देव की प्रतिमा का भंग होना, फुटना वा हँसना चलना आदि अशुभ कारक है । उक्त क्रियाएं एक माताह तक लगातार होती हो तो निश्चय ही तीन महीने के भीतर अनिट का माल मिलता है। ग्रहों की प्रतिमा, नौबीस शासनदेवों एवं शासनदेवियों की प्रतिमाएं, क्षेत्रपाल और दिवालों की प्रतिमाएं इनमें उक्त प्रकार की विकृति होने से व्याधि, धनहानि, मरण अनेक प्रकार की व्याधियाँ उत्पन्न होती हैं। देव कुमार, देवकुमारी, देववनिता एवं देवदूतों के जो विकार उत्पन्न होते हैं, वे समाज में आने । प्रकार की हानि पहुंचाते हैं। देवों के प्रसाद, भवन, चैत्यालय, वेदिका तोरण, कंतू आदि न जाने या बिजली द्वारा अग्नि प्राप्त होने से उग देश में अत्यन्त अनिष्टकर क्रियाएँ होती हैं। उक्त क्रियाओं का फल छ: महीने में प्राप्त होता है। 'भवनवासी, व्यन्तर, ज्योतिषी और कल्पवासी देवों के प्रति विपर्यय में लोगों को नाना प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है। )
आकाश में अरामय में इन्द्रधनुष दिखलायी गड़े तो प्रजा को कष्ट, बर्षाभाव और धनहानि होती है। इन्द्रधनुष का वर्षा वन में होना ही शुभसूचक पाना जाता है, अन्य ऋतु में अणभमुच राहा गया है। आकाश से रुधिर, मांस, अस्थि और चर्बी की वर्षा होने से संग्राम, जनता को गय, महामारी एवं प्रशाराकों में मतभेद होता है। धान्य, सवर्ण, बल्लाल, पृय और फल की वर्षा हो तो उस नगर का विनाश होता है, जिगमें गह पटना घटती है। जिग न मर में कोयल और धूलि की वर्षा होती है, उम नगर का विनाश होता है। बिना बादल के आकाश रो अलों का गिरता, बिजली का तहनना था किना गर्जन के अस्मात् बिजली का गिरना उस प्रदेश के लिए गयोपादक है तथा नाना प्रकार की हानियाँ होती हैं। किसी भी व्यक्ति को शान्ति नहीं मिल सकती है निर्मल गुयं में गया दिखलायी न दे अथवा विकृत ज्ञया दिलायी द तो देश में महाभय होता है। जब दिन या