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भद्रबाहुसंहिता
अक्षर नाम का आदि अक्षर हो तो धनु राशि भो, जा, जी, खी, ख स्खे खो, गा और गी इन अक्षरों में से कोई भी अक्षर नाम के आदि का अक्षर हो तो मकर राशि; गू, ये, गो, सा, सी, सू, से, सो और दा इन अक्षरों में से कोई भी अक्षर नाम का आदि अक्षर हो तो कुम्भ राशि एवं दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा और ची इन अक्षरों में से कोई भी अक्षर नाम का आदि अक्षर हो तो मीन राशि होती है ।
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संक्षिप्त विधि
आला - मेष, उवा = वृप, काळा मिथुन, डाहा कर्क, माटा सिंह, पाठा... कन्या, राता : तुला, नोया वृश्चिक, मुधा फाढ, = मकर, गोसा : कुम्भ, दात्रा - मीन ।
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उपर्युक्त अक्षर विधि पर से अपनी राणि निकाल घाततिथि घातनक्षत्र, घातवार और घातलग्न का विचार करना चाहिए ।
यात्राकालीन शकुन --- ब्राह्मण, घोड़ा, हाथी, फल, अन्न, दूध, दही, गो, सरसों, कमल, वस्त्र, वेश्या, बाजा, गोर, गया, नेवला, बंधा हुआ पशु, माँस, श्रेष्ठ वाक्य, फूल, ऊख, भरा कलश, छाता, मृतिका, कन्या, रत्न, पगड़ी, विना बंधा सफेद बैल, मंदिश, पुत्रवती स्त्री, जलती हुई अग्नि और मछली आदि पदार्थ यात्रा के लिए गमन करते हुए दिखलाई पड़ें तो शुभ शकुन समझना चाहिए। सोसा, काजल, धुला वस्त्र, अथवा धोये हुए वस्त्र लिये हुए धोबी, मछली, घृत, सिंहासन, रोदन रहित मुर्दा, ध्वजा, शहद, मेढा, धनुष, गोरोचन, भरद्वाज पक्षी, पालकी, वेदध्वनि, श्रेष्ठ स्तोत्र पाठ की ध्वनि मांगलिक गायन और अंकुश ये पदार्थ यात्रा के समय सम्मुख आवें और बिना जल का घड़ा लिये हुए आदमी पीछे जाता हो तो अत्युत्तम है ।
बांस स्त्री, चमड़ा, धान की भूसी, हाड़, सर्प, लवण, अंगार, इन्धन, हिजड़ा, बैठा लिये पुरुष, तेल, पागल व्यक्ति, चर्बी, औषध, शत्रु, जटावाला व्यक्ति, संन्यासी, तृण, रोगी, मुनि और बालक के अतिरिक्त अन्य नंगा व्यक्ति, तेल नगाकर बिना स्नान किये हुए, छूटे कण, जाति में पतिल, कान-नाक कटा व्यक्ति, सूखा, रधिर, रजस्वला स्त्री, गिरगिट, निज घर का जलना, विलावों का लड़ना और सम्मुख लोक यात्रा में अशुभ है । गेरू से रंगा कपड़ा. या इस प्रकार के वस्त्रों ने धारण करने वाला व्यक्ति, गुड़, छाछ, कीचड़, विधवा स्त्री, कुबड़ा बड़ाई, शरीर से वस्त्र गिर जाना, भेंगों की लड़ाई, काला अन्न, रूई, वमन, हिनी ओर गर्दभ शब्द, अतिक्रोध, गर्भवती, शिरमुण्डा, गीले वस्त्र वाला, दुष्ट न बोलने वाला, अन्धा और बहरा ये सब यात्रा समय में सम्मुख आयें तो अति नन्दित हैं ।
व्यक्ति,