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भद्रबाहुसंहिता यात्रा के शुभाशुभत्व का गणित द्वारा ज्ञान शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा रो लेकर तिथि, वार, नक्षत्र इनके योग को तीन । स्थान में स्थापित करें और क्रमश: सात, आठ और तीन का भाग देने से यदि प्रथम स्थान में शून्य शेष रहे तो यात्रा करनेवाला दुःखी होता है । द्वितीय स्थान में शून्य बचने गे धन नाश होता है और तृतीय स्थान में शून्य शेप रहने से मृत्यु होती है। उदाहरण-कृष्णपक्ष की एकादशी रविवार और विशाखा नक्षत्र में भुवनमोहन राय यो यात्रा करनी है। अत: शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि तक गणना की तो 2 7 संख्या आई, रविवार को संख्या एक ही हुई और अश्विनी से विशाखा तक गणना की तो । 6 संख्या हुई। इन तीनों अंक का योग किया तो 27-1-1-1-16 = 44 हुआ। इसे तीन स्थानों पर रखकर 7,8 और 3 का भाग दिया। 44 : 7-6 लब्ध और 2 शेष; 44 : 8 ..5 लन्ध और 4 शेए; 44 : 3: 14 लब्ध और 2 शेष। यहां एक भी स्थान पर शुन्य शेष नहीं आया है। अत: फलादेश उत्तम है, यात्रा करता शुभ है।
घातक चन्द्र विचार । मेगराशि वालों को जन्म का, वृषराशि वालों को पांचवां, मिथुन राशि वालों को नौवा, कर्क राशि वालों को दूसरा, सिंह राशि वालों को छठा, कन्या राशि वालों को दशवां, तुला राशि वालों को तीसरा, वृश्चिक राशि वालों को सातवाँ, धनराशि वालों को चौथा, मकर राशि वालों को आठवां, कुम्भ राशि वालों को ग्यारहवां और मीन राशि वालों को बारहवाँ चन्द्र घातक होता है। यात्रा में घातक चन्द्र त्यक्त है।
घातक नक्षत्र कृतिका, चित्रा, शतभिषा, मघा, घनिष्ठा, आर्द्रा, मूल, रोहिणी, पूर्वाभाद्रपद, मत्रा, मुल और पूर्वाभाद्रपद ये नक्षत्र मेपादि बारह राणिवाले व्यक्तियों के लिए घातक है। किसी-किसी आचार्य का मत है कि मेष राशि वालों को कृत्तिका का प्रथम चरण, अपराशि वालों को चित्रा का दूसरा चरण, मिथुन राशि बालों को शतभिपा का तीसरा चरण, वापराशि वालों को मघा क तीसरा चरण, सिंहराणि वालों को धनिष्ठा का प्रथम चरण, कन्या राशि वालों को आदी या तीसरा चरण, तुला राशि वालों को मूल का दूसरा चरण, वृश्चिम राशि वालों को रोहिणी का चौथा चरण, धनराशि वालों को पूर्वाभाद्रपद का चौथा चरण, मकर राशि वालों को मघा का चौथा चरण, कुम्भ राशि वालों को मूल का चौथा चरण और मीन राशि वालों को पूर्वाभाद्रपद का तीसरा चरण त्याज्य है।