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भद्रबाहुसंहिता
कला-कौशल की वृद्धि होती है और नैतिकता का विकास नागरिकों में पूर्णतया होता है। नेताओं में प्रेमभाव बढ़ता है जिससे वे देश या राष्ट्र के कार्यों को बड़े सुन्दर ढंग से सम्पादित करते हैं। गुरुवार को पूर्वीय वायु चले तो देश में विद्या का विकास, नये-नये अन्वेषण के कार्य, विज्ञान की उन्नति एवं नये-नये प्रकार की विद्याओं का प्रसार होता है। नगरों में सभी प्रकार का अमन चैन रहता है। शुक्रवार को पूर्वाय बडुभिरहे तो शान्ति, सुभिक्ष और उन्नति का सूचक है, इस प्रकार के बायु से देश की सर्वांगीण उन्नति होती है ।
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व्यापारिक फलादेश – आषाढ़ी पूर्णिमा को प्रातःकाल पूर्वीय हवा, मध्याह्न दक्षिणीय हवा, अपराह्न काल पश्चिमीय हवा और सन्ध्या समय उत्तरीय हवा चले तो एक महीने में स्वर्ण के व्याभर में सवाया लाभ, चाँदी के व्यापार में डेढ़ गुना तथा गुरु के व्यापार में बहुत लाभ होता है। अन्न का भाव सस्ता होता है तथा कपड़े और सूत के व्यापार में तीन महीनों तक लाभ होता रहता है। यदि दस दिन प्रातः काल से सूर्यास्त तक दक्षिणीय हवा ही चलती रहूं तो सभी वस्तुएँ पन्द्रह दिन के बाद ही महंगी हो जाती हैं और यह मँहगी का बाजार लगभग छः महीने तक चलता है। इस प्रकार के बायु का फल विशेषतः यह है कि अन्न का भाव बहुत मँहगा होता है तथा अन्य की कमी भी हो जाती है । यदि आधे दिन दक्षिणीय वायु चले, उपरान्त पूर्वीय या उत्तरीय वायु चलने लगे तो व्यापारिक जगत् में विशेष हलचल रहती है तथा वस्तुओं के भाव स्थिर नहीं रहते हैं । सट्टे के व्यापारियों के लिए उक्त प्रकार का निमित्त विशेष लाभ सूचक है । यदि पूर्वार्ध भाग में उक्त तिथि को उत्तरीय वायु चले और उत्तरार्ध में अन्य किसी भी दिशा की वायु चलने लगे तो जिस प्रदेश में यह निमित्त देखा गया है, उस प्रदेश के दोदो सौ कोश तक अनाज का भाव मस्ता तथा वस्त्र को छोड़ अवशेष सभी वस्तुओं का भाव भी रास्ता ही रहता है। केवल दो महीने तक वस्त्र तथा श्वेत रंग के पदार्थों के भाव ऊँ चढ़ते हैं तथा इन वस्तुओं की कमी भी रहती हैं। सोना, चांदी और अन्य प्रकार की खनिज धातुओं का मूल्य प्रायः सम रहता है । इस निमिल के दो महीने के उपरान्त सोने के मूल्य में वृद्धि होती है, यद्यपि कुछ ही दिनों के पश्चात् पुनः उसका मूल्य गिर जाता है । १शुओं का मूल्य बहुत बढ़ जाता है । गाय, बैल और घोड़े के मूल्य में पहले से लगभग सबाया अन्तर आ जाता है। यदि आषाढ़ी पूर्णिमा की रात में ठीक बारह बजे के समय दक्षिणीय वायु चले तो उस प्रदेश में छ: महीनों तक अनाज की कमी रहती है और अनाज का मूल्य भी बहुत बढ़ जाता है। यदि उक्त तिथि की मध्यरानि में उत्तरीय हवा चलने लग तो भगाना, नारियल, सुपाड़ी आदि का भात्र ऊंचा उठता के जनाज रास्ता होता È lebar, diệt ki yra yang ûr zardiacaran gun utara si सूर्योदय काल मय हवा, मध्याह्न उत्तरीय, अपराह्न में पश्चिमी हवा और
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