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नबमोऽध्यायः
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सन्ध्या समय तीन घंटे तक पश्चिमीय वायु चलता रहे तो निश्चयतः उस नगर, देश या राष्ट्र का विकास होता है। जनता में परस्पर प्रेम बढ़ता है, धन-धान्य की वृद्धि होती है और उस देश का प्रभाव अन्य देशों पर भी पड़ता है। व्यापारिक उन्नति होती है तथा जान्ति और सुख का अनुभव होता है। उक्त तिथि को दक्षिणी वाबु चले तो उस क्षेत्र म अत्यन्त भय, उपद्रव, बालह और माहमारी का प्रकोप होता है। आपसी कलह के कारण आलरिक अगड़े बन जाते है और सुखशान्ति दूर होती जाती है । मान्य नेताओं में मतभेद बढ़ता है, सैनिक शक्ति क्षीण होती है । देश में नये-नये कारों की वृद्धि होती है और गप्त रोगों की उत्पत्ति भी होती है । यदि रविवार के दिन अपसव्य मार्ग से दक्षिणीय बायु चले तो घोर उपद्रवों की सूचना मिलती है। नगर में शीलला और हैजे का प्रकार होता है। जनता अनेक प्रकार का बास उठाती है, भयंकर भवाम्म होन की गचना भीगा प्रकार के वायुग समझनी चाहिए। यदि अर्धरात्रि में दक्षिणीय बागु शब्द करता हुआ व तो इसका फलादेश म मस्त राष्ट्र के लिए हानिकारना होता है। राष्ट्रको आर्थिक क्षति उठानी पड़ती है तथा राष्ट्र के सम्मान का भी नास होता है । देश में किसी महान व्यक्ति की मृत्यु से अपूरणीय क्षति होती है। यदि यही वायु प्रदक्षिणा करता हुआ अनुलोम गति में प्रवाहित हो तो राष्ट्रको साधारण क्षति उठानी पड़ती है । स्निग्ध, मन्द, गुगन्ध दक्षिणीय वायु भी अच्छा होता है तथा राष्ट्र में सुख-शान्ति उत्पन्न करता है । मंगलवार को दक्षिणीय वायु माथ-सायं का शब्द करता हुआ चले और एक प्रकार की दुर्गन्ध आती हो तो राष्ट्र और देश के लिए चार महीनों तक अनिष्ट सचक होता है । इस प्रकार के वायु स राष्ट्र को अनेक प्रकार के संाट गन करने पर अ पनों पर उपद्रव होत हैं, जिससे प्रशासकीय ग पाया T 11 वा. मला है। देश ने. खनिज पानी उपज मला 41 ग , जिस देश का धन ना हो जाता है। वाराही १ . क्षणीय वाणु चले तो देश को अनेक प्रकारकास्ट उठाना पड़ा। जिम प्रदेश राप्रकार का वायु चलता है उस प्रदेश के गौ-सौ कोश बारों और अग्नि-प्रकोण होता है । आपाढी पूर्णिमा को पूर्वीय वायु चले तो देश में गव, गान्ति होती है तथा सभी प्रकार की शक्ति बढ़ती है। बन. गनिज पदार्थ, कल-कारखान आदि की उन्नति होने का सुन्दर अवसर पाता है । सोमता नो यदि Patष वा प्रात: काय मध्याह्नकाल तक लगातार चलती रहे और हवा में ग मन्धि आती हो ता दश का भविष्य उज्वल होता है । सभी प्रसार गदा की ममति होती है। ये-नय नंताजी का नाम होता जा
!! जागनिक कान का भी विकास होता। ; it. 11:कार .1 . न मागम एक वर्ष तक आनन्दोत्सव होत रहा। सभी प्रकार का जन्य बसा शिक्षा