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भद्रबाहुसंहिता
उत्तर और पूर्व दिशा के बादल सदा उत्तम वर्षा करते हैं और दक्षिण तथा पश्चिग के बादल मूत्र के समान बोहो-धोई वषां करते है, इसमें कुछ संशय नहीं ॥311
कृष्णानि पीत-ताम्राणि श्वेतानि च यदा भवेत् ।
तयोनिर्देश'मासृत्य वर्षदानि शिवानि च ॥4॥ यदि बादल कृष्ण, पीले, ताँव और श्वेत वर्ण के हों तो वे उत्तम वर्षा की। मूचना देते हैं ।।411
अप्सराणां च सन्वानां सदशानि चराणि च ।
सुस्मिाधानि च यानि स्युर्वर्षदानि शिवानि च ॥5॥ यदि बादल देवांगनाओं और प्राणियों के सद्श आचरण करें-विचरण करें और किम हो तो दुभ होते हैं और उनसे उनम कपी होती है ।।511
शुक्लानि स्निग्धवनि विद्युच्चित्रघनानि च ।
सद्यो वर्ष समाधान्ति तान्यभ्राणि न संशयः ॥6॥ बादल सुन कणं न हो, स्निग्ध हो, विद्य त् समान विचित्र -कटूतर के । रामान रंग के बादल हो तो तत्याः । बागा होती है ।।6।।
शकुन: कारणश्चापि सम्भवन्ति शुभैर्यदा।
तदा वर्ष च क्षमं च सुभिक्ष' च जयं भवेत् ॥7॥ शुभ शकुन और अन्य शुभ-चिल्ला माहित यदि बादल हो तो वे वर्षा करते हैं। तथा क्षेग, गुगल, मंभिक्ष और राजा श्री विजय सूचित करती हैं।।7।।
पक्षिणां द्विपदानां च सदृशानि यदा भवत् ।
चतुष्पदानां सौम्यानां तदा विद्यान्महज्जलम् ॥४॥ मौम्य पक्षियों के सदृश, सौभ्य द्विपद ..-मनुष्यों के ग़दृश और सौम्य चतुष्पद.. - चौपायों गाय, भैग, हाथी घोड़ा आदि नतुल्य वादल हो सो विजयसूचक समाना चाहिए । इस परलोक में सौम्य विशेषण से तात्पर्य है कि अर प्राधियों को पानि नहीं ग्रहण करनी चाहिए। जो प्राणी सीधे-गाधे स्वभान है, उन्हीं की जाति को बादल शुभ सूचक होते है । गौम्य प्राणियों में हाथी, घोड़ा, बल, हंस, मयूर, सारस, तोता, मैना, कोयल, कबूतर आदि प्राणी संग्रहीत है ॥8॥
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| यानिदिशा म.। 2 अम्मा आ। 5. जय वदत् मु• A, B. ) ।
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