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________________ तृतीय उल्काओं का पतन होते देखने से व्यक्ति के आत्मीय की सात महीने में मृत्यु, हानि, झगड़ा, अशान्ति और परेशानी उठानी पड़ती है। कृष्ण वर्ण की उल्का का पात सन्ध्या समय देखने से मथ, विद्रोह और अशान्ति, सन्ध्या के तीन घटी उपरान्त देखने से विवाद, कलह, परिवार में झगड़ा एवं किसी आत्मीय व्यक्ति को कष्ट; मध्यरात्रि के समय उक्त प्रकार की उल्का का पतन देखने से स्वयं को महाकष्ट, अपनी या किसी आत्मीय की मृत्यु, आर्थिक कष्ट एवं नाना प्रकार की अशान्ति प्राप्त होने की सूचना होती है । 33 श्वेत वर्ण की उल्का का पतन सन्ध्या समय में दिखलायी पड़े तो धन लाभ, आत्मसन्तोष, सुख और मित्रों से मिलाप होता है। यह उल्का दण्डकार हो तो सामान्य लाभ, मुसलाकार हो तो अत्यल्प बाभ और शकटाकार - गाड़ी के आकार या हाथी के आकार हो तो पुष्कल लाभ एवं अश्व के आकार प्रकाशमान हो तो विशेष लाभ होता है । मध्यरात्रि में उक्त प्रकार की उल्का दिखलायी पड़े तो पुत्र लाभ, स्त्री लाभ, धन लाभ एवं अभीष्ट कार्य की सिद्धि होती है । उपर्युक्त प्रकार की उल्का रोहिणी, पुनर्वसु, धनिष्ठा और तीनों उतराओं में पतित होती हुई दिखलायी पड़े तो व्यक्ति को पूर्णफलादेश मिलता है तथा सभी प्रकार से धनधान्यादि की प्राप्ति के साथ, पुत्र-स्त्रीलाभ भी होता है। आश्लेषा, भरणी, तीनों पूर्वा-पूर्वापाढा, पूर्वाफाल्गुनी और पूर्वाभाद्रपद और रेवती इन नक्षत्रों में उपर्युक्त प्रकार का उल्कापन दिखलाई पड़े तो सामान्य लाभ ही होता है । इन नक्षत्रों में उल्कापतन देखने पर विशेष लाभ या पुढकल लाभ की आशा नहीं करनी चाहिए, लाभ होते-होते क्षीण हो जाता है। आर्द्रा, पुष्य, मघा, धनिष्ठा, श्रवण और हस्त इन नक्षत्रों में उपर्युक्त प्रकार श्वेतवर्ण की प्रकाशमान उल्का पवित होती हुई दिखलाई पड़े तो प्रायः पुस्कल लाभ होता है। मघा, रोहिणी, तीनों उत्तरा-- उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढा और उत्तराभाद्रपद, मूल, मृगशिर और अनुराधा इन नक्षत्रों में उक्त प्रकार का उल्कापात दिखलाई पडे तो स्त्रीला और सन्तानलाभ समझना चाहिए । कार्यसिद्धि के लिए चिकनी, प्रकाशमान, प्रवेतवर्ण की उल्का का रात्रि के मध्यभाग में पुनर्वसु और रोहिणी नक्षत्र में पतन होना आवश्यक माना गया है । इस प्रकार के उल्कापतन को देखने से अभीष्ट कार्यों की सिद्धि होती है । अल्प आभास से भी कार्य सफल हो जाते हैं। पीतवर्ण की उल्का सामान्यतया शुभप्रद है । सन्ध्या होने के तीन घटी पीछे कृतिका नक्षत्र में पीतवर्ण का उल्कापात दिखलाई पड़े तो मुकद्दमे में विजय, बड़ी-बड़ी परीक्षाओं में उत्तीर्णता एवं राज्यकर्मचारियों से मंत्री बढ़ती है। आर्द्रा पुनर्वसु, पुष्य और श्रवण में पीतवर्ण की उल्का पतित होती हुई दिखलाई पड़े तो स्वजाति और स्वदेश में सम्मान बढ़ता है। मध्यरात्रि के समय उक्त प्रकार की उल्का दिखलाई पड़े तो
SR No.090073
Book TitleBhadrabahu Sanhita Part 1
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages607
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size13 MB
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