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बाई अजोतमति एवं उसके समकालीन कवि
चहूर्दा मोटा हाट श्रेण ।सा०। क्रियाणे भरी सारतो । नारगोटी दोसी घरणां ।सा०। कणहट तरा। नहीं पार हो ||१|| चंपा बकुल वेल नोकतानलाई जुन गया तो ताल तमाल मांबा जांबू ।सा०1 बाडी वन सुवर्षीवेकतो ।।११। सिंहपुर कुल मंडरा सा०1 वहिवारीया श्रावक वसंत तो ।।। दान पूजा व्रत अभिषेक सास बहु यरी घरम करत तो ।।१२।। ते नयरी माहि ऊनत 1सा०1 जिन प्रासाद विसाल तो।। तोरण कालस घजा लहिकि सा०। सारका सोहि चित्रसालतो ।।१३।। वेदी स्थंभ भना भावि साग जाली गोख सूत्रंग तो ॥ गर्मगृह कंबाड भला ।सान चंदोषक पंचरंग तो ।।१४।। रंगमंडप मोतीजाली ।सा। नाटक साला रसाल तो ।। भीत चियाम चतुर चमके सा। ललके बहू फूल माल नो ।।१५।। मोती फूल तणा चोक ।सा०। चोक मोटी पटसाल तु॥ कलस भृगार चमर रूडा ।सा। भामंडल झाक झमाल तो ॥१६॥ रतम कनक पीतल रूपां |सा। पाराम प्रतिमा उत्तंग तो ।। तेजि सुरज जीपता सा। दीठि होय पाप तम भंग तो ॥१७॥ ताल कंसाल घंटा घणी सा। घूघरी झल्लरी सार तो।। अनेक यती पंडीत भणि सा। दोठि हरख पार तो ।।१८|| भूलनायक चन्नप्रभ 1सा। सोम म्रती रूप ठायतो ।। चन्द्रपुरी महासेन धन सा०। घन घन लक्ष्मण माय तो ।।१६।। डेक्सो धनूख ऊनत सही । सा! चन्द्रवरण सोही देह तो।। धन धन धन्द्रवदन भलं सा० बर्मामृत जागि मेह तो ।।२०।। श्रांणु गगरि सेवीउ सा० धन धन कमल सूनेष तो ।। धन धन चन्द्र लांछन भलं ।सा। धन धन जिन जग तो ।।२१।। आयु दश लाख पूरव ।सा पूरवि वांछीत काम तो ।। काम मोह थी वेग लो ।सा होय नवनीध जेह नाम तो ।।२२।। धन घन जिन त्रिभुवन पती ।सा। धन धन जग विश्राम सो 1॥ धन धन तू जगदीश्वर 1सा। वन धन चंद्रप्रभ नाम तु ।।२३।। यादि विधन बेंगि टालि ।सा। विकट संकटनो विनास तो 11 विक्रम देवेंद्रि पूजीजछ ।साडी भवीनगनी पूरि प्रास तो 1॥२४॥