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यसोपर रास
पूरब करम पसाय थी जी । राणी फुवडा सू लब्ध ।। जसोधर मन तह सू सहीं जी । बहू परमोहि अद्ध के ॥२।। राय रापी प्रज्ञानी सी जागीयो जी। राय हवो मन मंग के । रति वैराग्य भावती गई जी । प्रभात हवं उत्संग के 11३।। राय सामंत क्षत्री मंडीयो जी | राय सभा बईठ॥ चन्द्रमती तिहाँ प्रावई जी । सृत दी हरख पई ॥४॥ राय० जसोधर दीक्षा लेवा सही भी। कहिं क्रू र सपन उपाय ।। चन्द्रमती चलती वदे जी । देवी कोपी राय ।।५।। रामक देवी मढ़ जीव पाचौदिये जी । होगी। मिना !! उत्तर प्रति उत्तर कहिया लगी जी । जसोधर दवा निबास ।।६। राय मायि प्रेरघो लानिं पडों नी । पीठ कुकडी करेया । भाव करपो हंसा तण्यो जी । देवी ने बलि देय ॥७॥ राय. देवी नू स्तवन करप जी । मझ विघन करो दूर ।। त् चन्डी कास्पायनी जी । सींह पाहनी तू कर ||८राय. ते समरथ केम राबवा की। जो प्राब्व मृत पास ।। भोला कोकि मिथ्यात करी जी । पडिते पापने पास 118! राय देव स्वरूप जाणि नही जी । सुख वाछि गमारि ।। जे पर जीवना प्राण हरि जी । ते किम तारि संसार ।।१०॥ राय. धिर आवी तुम्ह राज दीयूजी । संजम लेबा सजथायें । तब अमृतायि पीतवूजी । जाण्यो मुझ प्रन्याय ।।११॥ राय० ते प्रावी विनय कर जोडी जी । दीक्षा लेस्यूतुम्ह साथ ।। माय माथि मुझमंदिर की प्राज जमो मुझ नाथ के ॥१शाराम. रायें बीसवास तेन करवुजी । जेसूपड़ी चीत खाउ ।। वली वसेखिनदी नखी जी। नारी मातु साह के ॥१३|| राय विश्वास करवो नहीं जी 1 राय से घणो सूजाण के || पण तेह घिर जमवा गयो जी। कम तणो परमाण के ॥१४॥राय विस्ख देई तीरिग बेहूं जणां हण्यां जी । प्रचंतन कूकडा ने पाप के ॥ राय मोर माय स्वान होई जी । पाउँ पाम्यो संताप के ।।१५।।राय. भौर मरी सेहेलो थयो जी । स्वान थयो ते सार ।। सेहेलो मरी रोहात हवो जी । सापते ससुमार पाप ।। १६॥राय.