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________________ यशोधर राम २१६ पगधी मडांष सीपडया ए । ना० । पडी भोमे ते नार॥ होट चोरनें मुखें रह्यो ए । ना० । नारी भावी घर बार ।।८।। नाह फह ने मूती क्षणी ए ! ना । करी उठी पोकार ।। ईरणे होठ मझ खंड कीयो एमाहवो कोलाहल अपार ||४|| परभातें राय जाणीयूए नाम बीरवती भरतार ।। वीरवई कही काठपो मारवाए ना नव्य जीयो न्याय विचार ॥५॥ तब चोरें राय दीनव्यो ए। ना । देखाइयो प्रगली छेद ।। नारी परित्र को नष्य लहिए !ना। कहयो हदो चे भेद ।।६।। तब रायें सेवक मोकल्याए । ना० । चोर तणं मुख जोय ॥ उष्ट काळी राय खन्याए । ना० माघम पाम्धः सका । नारीने दंड कोषो घणो ए ना०1 साहने दोधू मान । गोपवती चरित्र चीतए नाक मारीदत्त सुरणो सुजाण ॥६८) गोपवती कथानक वर ध्यान देश छि रुवायो ए ना। पलाशग्राम पुर नाम ।। सिंह बल अत्रीति बसे एनाश तस नारी अभीराम गोपवती नाम तेह तणं एना। रुपसोभाग अपार ॥ सिंहबल क्षत्री तिहां गयो ए |ना सेवा काजि विचार 1800 पदमपुर त्याहा श्री वेगल्यूए ।नाग सिंह सेन तिहां राय 11 वल्लभा राशी तेह तणी ए नान पुत्री तेहर्ने गुण ठाय 118 सुभद्रा छिनाम तेह तर्ण एना. सोहि प्रती ही अपार ।। सिंह सेवानि प्रावीयो ए ना सहर भट्ट झूभार ||१२|| भूमिह सेनने भेटीयो ए ना०) रायदोघं बहू मान ।। गाम ठाम दोषा भला एनान कुबरी दीवी निधान ॥१३ ते साधे सुख भोगवि ए ना। बोसरची ते नीज नार ।। दीवस घगों नेणी जाणीय' एनाला नाह तमो विचार ॥१४॥ तब ने फोप घडी षणं एनाआदो तीहां ते जोय ।। भेद माल्या महू नाहना एना। गोपवती छांनी होय ॥१५॥ घर उपरि चढ़ी करीए ।ना०1 ऊतरी करडी मांहि ।। मोय वासीर छेदी लेईए ना। तिम प्रावी निज ठाह ।। ६६॥
SR No.090071
Book TitleBai Ajitmati aur Uske Samkalin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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