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________________ बाई अजीतमति एवं उनके समकालीन कवि १. मुनिसुव्रत जिनवन्दना २ ने मजित बन्दना २. वर्धमान गीत ४ आदि जिन गौत " भु इस प्रकार गुटके में कवि की चार लघु कृतियों का संग्रह मिलता है । राजस्थान के अभ्य शास्त्र भरदारों में हो सकता है धनपाल कवि को और भी रगों की उपलब्धि हो जाये । उक्त चारों कृतियों का परिचय निम्न प्रकार है: -- १५ पद कमल सेवित देल्ह नदा धन्नपाल क्रिया करो | मनसुबा जे जात प्रवं सदा मंगल रमा घरो || १ || १. मुनिसुव्रतबन्धना : कवि यह एक ऐतिहासिक बन्दना है जिसमें राजस्थान के बूंदी जिले में स्थित केशोरायपाटन के प्रसिद्ध जैन में में विरा भगवान मुनिसुव्रतनाथ की वंदना कर वर्णन है। वर्तमान में केशोरायपाटन नाम से प्रसिद्ध नगर पहिले पाटस नाम से और इसके पूर्व माश्रम पतन नाम से प्रसिद्ध था। स्वयं कवि धनपाल ने पाटन को भविषय क्षेत्र लिखा है जहां भक्तगण वंदना के लिए आते रहते है और अपनी मनोकामना पूर्ण करते रहते हैं। ऐसे पाटन नगर में मुद्रितनाव का अतिशय क्षेत्र हैं जिसकी वन्दना के लिए मुनि श्रार्थिका श्रावक श्राविका सभी प्राते रहते हैं । इसके पश्चात् कवि ने भगवान मुनिसुव्रतनाथ के पिता सुमति राजा, माता पद्मावती एवं उनके लांछन कछु का उल्लेख किया है। इसी तरह उनके शेष जीवन का भी छन्दों में उल्लेख किया है। पूरी वन्दना चार छन्दों में पूर्ण होती है और अन्त में कवि ने अपने पिता एवं स्वयं के नामोल्लेख के साथ भगदान मुनिसुव्रतनाथ की कृपा की याचना की है :--- अर्थात् कवि के समय में भी भगवान मुनिसुव्रतनाथ के दर्शनार्थ सपरिवार श्राने की परम्परा यी कवि ने उक्त वन्दना को राग मलार / मल्हार में लिखा है । २. मेमि जिन था— कवि की यह दूसरी ऐतिहासिक कृति है जिसमें भगवान नेमिनाथ की बन्ना की गयी है । इस गीत में जयपुर राज्य की प्राचीन राजधानी आमेर के दि० जैन मन्दिर बोबला बाबा के (नेमिनाथ स्वामी) स्तवन के पश्चात् नेमिनाथ हामी के माता पिता, जन्म स्थान, तोरण द्वार से लौटने की घटना, राजुल व स्थाग
SR No.090071
Book TitleBai Ajitmati aur Uske Samkalin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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