________________
1
चन्द्रगुप्त मौर्य का उदय
चाणक्य की प्रतिभा का चमत्कार
आज से लगभग 2300 वर्ष पहले का भारत ।
प्राचीन बिहार के गोल्ल प्रदेश के चाणक गाँव में एक भद्र-परिणामी श्रावक ब्राह्मण चणक रहते थे। उनकी पत्नी का नाम, ग्राम-निवासियों में, चणकेश्वरी प्रच लित हो गया। इन पति-पत्नी के जीवन में आनन्द का अवसर आया । पुत्र उत्पन्न हुआ। बालक ने माता का स्तन पान करने के लिए ज्यों ही अपना मुँह लगाया कि ब्राह्मणी को एक विचित्र अनुभूति हुई। बालक के मुंह में पूरी दन्त पंक्ति मौजूद ! बालक का आकार-प्रकार और हड्डियों का गठन भी टेढ़ा लगा । वह भयभीत हुई। उसने पति को पुकारा। पति ने देखा तो वह भी आश्चर्य चकित और दुखी !
उस दिन सौभाग्य से ग्राम के पास के वन में एक श्रमण मुनि थे, जिनकी वन्दना चणक कर चुका था। अपने पुत्र को गोद में लेकर ब्राह्मण, मुनि महाराज के पास पहुँचा और उन्हें बालक की दन्त पंक्ति दिखायी । साधु निमित्तज्ञानी थे I बोले - "आयुष्मन् विप्र, तुम चिन्ता न करो । यह लक्षण है राजा बनने का, यश कमाने का ।" बस इतना कहा और मुनि अपने ध्यान में लीन हो गए। ब्राह्मण ने आगे कुछ पूछना चाहा किन्तु मुनि को ध्यान मग्न देखकर वापस घर आ गया । पत्नी को बताया । पत्नी कुछ समझ न पायी । “एक निर्धन अकिंचन ब्राह्मण का पुत्र राजा बनेगा, यह कैसे संभव हो सकता है ?" ब्राह्मण इस कल्पना से ही भयभीत हो गया । वह त्यागी - व्रती श्रावक था । " इस पुत्र का पालन-पोषण करते हुए हर क्षण मैं अब इसी चिन्ता में लीन रहूँगा कि मुझ व्रती ब्राह्मण के घर घोर आरम्भ और परिग्रह करने वाला, युद्ध और विजय के अभियानों के विध्वन्स का खेल रचनेवाला राजा पल रहा है, जो इसी कारण अन्त में नरक जायेगा,” ब्राह्मण मन ही मन सोचता रहा।