________________
क्रमांक 129
आचार्य-नाम गुरु-नाम धर्मचन्द्र चारुकीर्ति
138
लेख क्र० शक संवत् विशेष विवरण 422 1570 बलात्कार गण। इनके उपदेश से वघरवालों ने चौबीसतीर्थकर
प्रतिमा प्रतिष्ठित कराई। 421 1602 इनके साथ तीर्थ-यात्रा। 384 वि० सं० इनके साथ वघेरवालों ने तीर्थयात्रा की।
130 131
श्रुतसागर वर्णी | इन्द्रभूषण राजकीत्ति के
शिष्य लक्ष्मीसेन अजितकीर्ति चारुकीर्ति
1719
132
252
1731 देसी गण । एक मास के अनशन से सल्लेखना।
अजितकीर्ति
133
शान्तिकीर्ति चारुकीर्ति पं०
आचार्य सन्मतिसागरवर्णी चारुकीत्ति गुरु (?)
494 495
1732 मू० दे० पु० । मैसूर-नरेश कृष्णराज की ओर से सनदें प्राप्त की। 1752 1778 मू० दे० पु० । इनके मनोरथ से बिम्बस्थापना की गई।
134
490
1780
.......... अन्तइन्द्रों के पार
"