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अन्तर्द्वन्द्रों के पार
गोम्मटेश्वर मूर्ति के दोनों बाजुओं पर यक्ष-यक्षिणी की भूतियां हैं जिनके एक हाथ में चोरी और दूसरे में कोई फल है। गोम्मटेश्वर मूर्ति की बायीं ओर गोल पाषाण का पात्र है जिसमें मूर्ति के अभिषेक का जल एकत्र होता है । इस पर 'ललित सरोवर' नाम खुदा है। पाषाण-पत्र भर जाने पर अभिषेक का जल एक नाली द्वारा मूर्ति के सम्मुख कुएँ में पहुँचता है, वहाँ से मन्दिर की सरहद के बाहर 'गुल्लकायज्जि बागिलु' नाम कन्दरा में पहुंचा दिया जाता है । मूर्ति के सम्मुख का मण्डप सुन्दर खचित नव छत्रों से सजा हुआ है । आठ छत्रों पर आष्ट दिक्पाल की मूर्तियां हैं। बीच की नौवीं छत पर गोम्मटेश्वर के अभिषेक के लिए हाथ में कलश लिये इन्द्र की मूर्ति है। इसकी छत में उत्कीर्ण शिलालेख क्र० 322 से अनुमान होता है कि बलदेव' मन्त्री ने 12वीं शताब्दी के प्रारम्भ में यह मण्डप, और लेख ऋ० 373 के अनुसार सेनापति भरतमय्य ने इस मण्डप का कठघरा (हप्पलिगे) निर्माण कराया था। ___ और भी अनेक लेख हैं जिनसे पता चलता है कि कठघरे की दीवार और चौबीस तीर्थंकरों की प्रतिमाएँ नयकीर्ति सिद्धान्तचक्रवर्ती के शिष्य बसविसेट्टि ने निर्माण करायीं तथा उनके पुत्रों ने प्रतिमाओं के सम्मुख जालीदार खिड़कियां बनवायीं। इसी प्रकार चंगाल्वनरेश महादेव के प्रधान सचिव केशवनाथ के पुत्र चन्न बोम्मरस और नंजरायपट्टन के श्रावकों ने गोम्मटेश्वर-मण्डप के ऊपर के खण्ड का जीर्णोद्धार कराया।
परकोटा
इसका निर्माण होयसल नरेश विष्णुवर्धन के सेनापति गंगराज ने शक सं० 1039 के आसपास कराया । यह विवरण लेख क्र० 276, 272-74, 154, 158, 342, 547 में मिलता है । परकोटे के भीतर मण्डपों में अगल-बगल 43 जिनमर्तियां प्रतिष्ठित हैं। अधिकांश मूर्तियाँ चार फुट ऊँची हैं। इनमें पद्मप्रभु तीर्थंकर की मूर्ति नहीं है। एक अज्ञात मूर्ति डेढ़ फुट ऊँची है। परकोटे के द्वार के दोनों बाजुओं पर छह-छह फुट ऊंचे द्वारपाल हैं। परकोटे की दीवार पर तीन ओर देवी-देवताओं और पशु-पक्षियों के विविध मुद्राओं में ऐसे अद्भुत और मनोवैज्ञानिक चित्र उकेरे गये हैं कि सारी प्रकृति मानव की सहचरी हो गई है।
। गोम्मटेश्वर देव के ठीक सामने छह फुट ऊँचाई पर ब्रह्मदेव स्तम्भ है । यहाँ ब्रह्मदेव की पद्मासन मूर्ति है। स्तम्भ के नीचे पाँच फुट ऊँची गुल्लकायज्जी की मूर्ति है जिसके हाथ में गुल्लकायि (फल) है। यह स्तम्भ और मूर्ति स्वयं चामुण्डराय द्वारा निर्मित बताई जाती है।