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________________ 20 विदूषक - (मन ही मन) यह बहुत अधिक खिन्न हैं, अतः इनका मन बहलाता हूँ। (हाथ में लेकर) हे मित्र, जरा अन्दर आओ । राजा लोग तुम्हारी सेवा करने के लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं । पवनंजय - (बिना सुने ही सांस लेकर बैठ जाता है) विदूषक - (उपहास सहित) मेरे बचनों का ठीक पालन किया । पवनंजय - बिना स्थान के ही क्यों प्रलाप कर रहे हो । चुपचाप बैठ जाओ । विदूषक - क्या करूं (बैठ जाता है)। पवनंजय - (उत्कण्ठा के साथ) भैर आगमन पर जिसे कोई अनोखी का उत्पन्न हुई थी, गास्स रूपी फलक विकसित हो गए थे, अधर और ओठ फड़कने लगे थे ऐसी मेरे विरह की खित्रता के समूह से दुःखी उसका मुखकमल कब देग्यूँगी । 10lt विदूषक - यह उत्कण्ठा का अवसर नहीं है । पवनंजय - यह कार्योपदेश का अवसर नहीं है। विदूषक - इस समय मुझे क्या करना चाहिए । पवनंजय - मित्र, उपकरण के साथ चित्र बनाने की तख्ती ले आओ, जिससे कि इस समय चित्रगत भी प्रिया को देखें। विदूषक - क्या उपाय है । जो आप कहें । ( उठकर चल देता है) पवनंजय - मित्र, आओ।। विदूषक - (समीप में जाकर) आज्ञा दीजिए । पथनंजय - जिससे कैप उत्पन्न हो रहा है, ओ चाँदनी के आतप के संतप्त है, ऐसा सह . हाथ कुछ लिखने में समर्थ नहीं है । 11111 विदूषक - जैसा आप पसन्द करें, वह करें। पवनंजय - कुमुद के पत्तों की यहाँ पर शय्या बना दो, शीतल स्पर्श वाले केले के पत्तों से मलपवायु से तप्त शरीर पर हवा करी । 112|| अथवा यह चाँदनी और यह मलय पवन मी जिस प्रकार मेरे सन्ताप के लिए हुआ, कहो कुमुदों से और केले के पत्तों से वह कौन से धैयं को प्राप्त करेगा? अत: अधिक कहना व्यर्थ है। केवल महेन्द्र पुत्री अंजना के गाढ आलिङ्गन से ही मैं सान्त्वना प्राप्त करूंगा, ऐसा मैं मानता हूँ | ||13|| विदूषक - ठीक है, इस समय इसे अच्छी तरह किया जा सकता है । यह तो विजयाई पर है और आप यहाँ दक्षिण भूमि में विद्यमान हैं । पवनंजय - मित्र, हम इस समय विमान पर चढ़कर विजयाद्ध की ओर ही चलते है ( उठता विदूषक - पवनंजय - विदूषक - (उठकर) हे मित्र, अस सुनो । धीरे से कहो। यहाँ महाबली, तुम्हारे प्रतिपक्षी वरुण के स्थित रहने पर छावनी छोड़कर जा रहे हो, यह बात मेरे लिए अनुचित प्रतीत हो रही है ।
SR No.090049
Book TitleAnjana Pavananjaynatakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimall Chakravarti Kavi, Rameshchandra Jain
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size1 MB
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