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________________ तक पहुँच जाते हैं, किन्तु उनके मित्र प्रहसित उन्हें रोक लेते हैं । पत्रनंजय अंजना से घृणा करने लगते हैं तथा अंजना के साथ अ नावित शाही रो रह करण तथा अपने नगर को वापिस आ जाते हैं । ___ अपने पिता तथा राजा महेन्द्र के बार-बार अनुरोध पर वे अंजना सुन्दरी से विवाह करने का निश्चय करते हैं, किन्तु विवाह के बाद अंजनासुन्दरी को मार देने का वे मन ही मन निश्चय कर लेते हैं । अंजनासुन्दरी के प्रति घृणा के कारण वे उससे 22 वर्ष विमुख रहते हैं । अंजना दुःख सहन करती रहती है । यहाँ तक कि जब वे वरुण के प्रति युद्ध के लिए प्रस्थान करने लगते हैं, तब अंजना उन्हें विदा करने आती है, किन्तु वे उसे फरकार कर उसका तिरस्कार करते हैं । पवनंजय का अंजना के प्रति यह दृष्टिकोण पानसरोवर पर चकवे के वियोग में दुःस्त्री चकत्री को देखकर परिवर्तित होता है, वे उसे अधिक चाहने लगते हैं तथा उसके प्रति किए गए अपने कठोर व्यवहार पर पछतावा करते हैं । वे गुप्त रूप से अपने नगर जाते हैं तथा अपनी पत्नी से मिलकर उसके साथ कई दिन बिताते हैं । परमचरिय के अनुसार अंजना के साथ ' केवल एक रात बिताते हैं । वे अपने माता-पिता को अपने आगमन के विषय में बतलाना उचित नहीं समझते हैं । उनके माता-पिता को भी उनके आगमन की कोई जानकारी नहीं होती है । युद्ध क्षेत्र में लौटने से पूर्व पवनंजय को अंजना के गर्भ की जानकारी मिल जाती है । वह निश्चित रूप से कहते हैं कि गर्भ के लाक्षण प्रकट होने से पूर्व ही थे युद्ध क्षेत्र से वापिस आ जायगे । को अंजना को अपने नाम से अंकित एक हार देते हैं, ताकि आवश्यकता पड़ने पर बह उसका उपयोग कर सके । पवनंजय की मां को जब अंजना के गर्भ के विषय में मालूम होता है, तो उसका गहरा धक्का का लगता है । उसे यह पता था कि पवनंजय अंजनासुन्दरी से कितनी घृणा करता है तथा वह इस बात पर विश्वास नहीं करती है कि पवनंजय गुप्त रूप से अंजना से मिलने आया था। इस कारण वह अंजना को उसके मातापिता के यहां भेज देती है । राजा महेन्द्र अपनी पुत्री को जिसका चरित्र सन्दिाध है, अपने घर प्रवेश नहीं देते हैं । वे उसे अपने महल से बाहर निकाल देते हैं । मुनि अमितगति, जिनके पर्यङ्कगुफा में अंजनासुन्दरी को दर्शन हुए थे, ने गर्भस्थ शिशु के पूर्वजन्म का हाल बतलाया तथा वह कारण भी बतलाया, जिसके कारण पननंजय अंजना से घृणा करते थे तथा जिसके कारण अंजना का उनसे स्त्रियोग हुआ। ____ अंजना प्रतिसूर्य के विमान में बैठी हुई थी । उसके मुस्कराते हुए चालक ने छलांग लगाई तथा यह नीचे रिस्थत पर्वत की चट्टानों के मध्य गिर गया । चट्टान के टुकड़े-टुकड़े हो गए, किन्तु बालक को कोई चोट नहीं पहुँची । इस कारण बालक का नाम श्रीशैल रखा गया । इसका दूसरा नाम हनुमत् भी रखा; क्योंकि इसे बचपन में प्रतिसूर्य के हनुरुह द्वीप में लाया गया था। वरुण के साथ युद्ध की परिसमाप्ति होने पर पवनंजय घर वापिस लौटते हैं, जब उन्हें ज्ञात होता है कि उनकी पत्नी को उसके माता-पिता के घर भेज दिया गया है तो ये राजा महेन्द्र के पास जाते हैं, किन्तु उन्हें यह जानकर बड़ा दुःख होता है कि वह वहाँ नहीं है? वे अंजना की खोज में भूतखारन्दी में पहुँचते हैं । वे अपने माता-पिता को अपना निर्णय बसला देते हैं कि जब तक अंजना नहीं मिलती है, तब तक वे घर वापिस नहीं आयेंगे ।
SR No.090049
Book TitleAnjana Pavananjaynatakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimall Chakravarti Kavi, Rameshchandra Jain
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size1 MB
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