SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 998
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सकता है। वास्तव में इस तकनीक का उचित उपयोग अनुभव से ही सीखा जा सकता है। ज्यादा ऊर्जन से रोगी में विपरीत प्रतिक्रिया हो सकती है और उसकी दशा खराब हो सकती है। कम ऊर्जन करने से वह या तो ठीक न हो पावे अथवा उपचार आशाजनक आश्चर्यकारी न हो। उपचारक प्राण ऊर्जाओं को उपचार सम्बन्धी उचित निदेश दे अथवा उचित निवेदन करे एवम् आवश्यक दृश्यीकरण करे। (६) सामूहिक उपचार- Mass Healing एक उन्नत शक्तिशाली उपचारक दिव्य उपचारी ऊर्जा से अनेक रोगियों का सामूहिक उपचार कर सकता है। (क) मानसिक रूप से शान्तिपूर्वक दिव्य उपचार और सुरक्षा के लिए आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करिए। (ख) सभी रोगियों को मानसिक या मौखिक रूप से दिव्य उपचार की ग्रहणशीलता की स्वीकृति के लिए प्रार्थना करने के लिए निर्देशित कीजिए। (ग) एक साथ ही अपने 11 तथा 7 पर ध्यान केन्द्रित करिए। दिव्य ऊर्जा ऊपर से 11 द्वारा ग्रहण करके, फिर 7f द्वारा प्रेषित करिए, फिर हाथों से प्रेषित करिए। (घ) उक्त के साथ ही समस्त रोगियों को अत्यधिक चमकती हुई सफेद प्रकाश या विद्युतीय बैंगनी रंग के प्रकाश के सागर में नहाते हुए दृश्यीकृत करिए। ऐसा कई मिनटों तक करिए। (ङ) धन्यवाद ज्ञापन कीजिए। इसका चित्रण चित्र ५.२७ में किया गया है। (१०) दूरस्थ सामूहिक उपचार--- Distant Mass Healing (क) रोगों को पूर्व सूचना दीजिए कि अमुक तारीख को अमूक समय पर दूरस्थ उपचार किया जाएगा। वे निर्धारित समय पर आराम से बैठें, ५.५२६
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy