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अध्याय
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दिव्य उपचार Divine Healing
(१) भूमिका - Introduction
दिव्य उपचार में दिव्य ऊर्जा द्वारा उपचार किया जाता है। सर्वशक्तिमान प्रभु से प्रार्थना करके यह दिव्य ऊर्जा उपचारक के आत्मा, फिर उसके वायवी शरीर, रोगी के वायवी शरीर और अन्त में रोगी के भौतिक शरीर में प्रवेश करती है। दिव्य उपचार अनेक धर्मों वाले करते हैं। यह प्राणशक्ति की एक उच्च श्रेणी है ।
दिव्य ऊर्जा एक विद्युतीय बैंगनी रंग का प्रकाश अथवा अत्यन्त तेज सफेद प्रकाश के रूप में देखी जाती है। सामान्य तौर पर इसको गम्भीर रोगों के उपचार के उपयोग में लाते हैं, न कि सामान्य रोगों में । सामान्य रोगों में इसका उपयोग इस प्रकार होगा कि जैसे ईंधन के तौर पर कोयले के स्थान पर हीरे को जलाएं और जो एक प्रकार से उसका दुरुपयोग होगा। आम तौर पर जब किसी उपचारक को अल्प
समय में बहुत से सामान्य तथा गम्भीर रोगों से ग्रसित रोगियों का उपचार करना होता है, तब दिव्य उपचार किया जाता है। इसके अतिरिक्त यदि रोगी की दशा तीव्र गति से बिगड़ती जा रही हो और साधारण तौर पर यथोचित प्राण चिकित्सा करने का समय उपलब्ध न हो, तब भी दिव्य उपचार किया जा सकता है।
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EV की एक अपनी ही चेतना होती है । उसको पता होता है कि कहां जाना है और क्या करना है। उदाहरण के तौर पर यदि ev को 9 में प्रेषित किया जाए, तो वह प्रभावित चक्रों और प्रभावित भागों में जाकर रोगग्रस्त ऊर्जा को बाहर निकाल देगी। अति / कम चक्रों को संकुचित / सक्रिय करके सामान्य करेगी। कमजोर अंगों को मजबूत करेगी और जिन अंगों में सूजन है, उनमें शांति पहुंचाएगी ।