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इसका कारण यह है कि तालु से जीभ के लग जाने पर मैरिडियन्स का सर्किट पूरा हो जाता है, जिससे ऊर्जा के स्तरों के सिद्धान्त के आधार
पर नीचे से ऊर्जा, ऊपर अधिक मात्रा में प्रवाहित होने लगती है। (ट) अपने हाथों को संवेदनशील करें तथा आवश्यक्तानुसार हाथ और/
अथवा उंगलियों से जांच करें।
जांच के परिणामों का विश्लेषण करें। (ड) आवश्यक्तानुसार CA / LC के उपयोग द्वारा Gs, स्थानीय
झाड़-बुहार, ऊर्जन करें, वितरणशील झाड़-बुहार, स्थिरीकरण, सील करें। (नोट-- वितरणशील झाड़ बुहार का वर्णन आगे क्रम ११ में दिया
विशिष्ट केसों में, उपचार के उपरान्त, सर्वशक्तिमान प्रभु से तीन बार मानसिक प्रार्थना करते हुए दिव्य ऊर्जा को ग्रहण करें तथा उससे रोगी के चारों ओर एक दिव्य सम्पुटिका (कैप्स्यूल) (Divine capsule) बनाकर उसके अन्दर रोगी को अवस्थित करें। तदुपरान्त प्रभु से तीन बार प्रार्थना करें कि उपचार होने तक इस रोगी (ोगी का नाम लीजिए) के निरन्तर देखभाल के लिए तथा उपचार में सहायता के लिए एक उपचारी गुरु और एक उपचारी देवदूत को नियुक्त कर दें। रोगी के 6 तथा आपके 6 के मध्य की उपचार के दौरान स्वयमेव ही स्थापित हो गयी वायवी डोर को काटें। उपचार के अन्त में रोगी पुनः अपनी प्रार्थना करे अथवा निम्न प्रार्थना
(त)
सा
करेः
"हे सर्वशक्तिमान प्रभु,
मैं आपको पुनः दिव्य आशीर्वाद और दिव्य उपचार के लिए धन्यवाद देता हूं। धन्यवाद सहित और पूर्ण विश्वास के साथ।
इस प्रार्थना को तीन बार दोहराए, तत्पश्चात्
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