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(ङ) पांचवी विधि यदि चक्र या प्रभावित भाग बहुत गंदा है, तो रोगग्रस्त ऊर्जा को LC से पंक्चर करिए। यह "रोगग्रस्त ऊर्जा के पंक्चर की तकनीक" (puncturing the diseased energy technique) कहलाती है। इसको इच्छाशक्ति द्वारा LC की नोक को उसके ओर रखकर, LC को आगे पीछे चलाकर किया जाता है, जैसे कि किसी का पंक्चर किया जाता है। इस प्रक्रिया को कई बार दोहराइये। इससे रोगग्रस्त ऊर्जा टूटेगी और ढीली पड़ेगी, जिससे स्वच्छता सुगमता हो सकेगी। इसके बाद Lc से स्थानीय झाड़- बुहार करते हुए रोगग्रस्त ऊर्जा को नमक के घोल में फैंक दीजिए। इन दोनों प्रक्रियाओं, अर्थात पंक्चर करने और झाड़-बुहार को एक के बाद लगभग बीस या बीस से ज्यादा बार कीजिए। नोट- इस तकनीक में, ज्यादा इच्छाशक्ति का उपयोग न कीजिए, अन्यथा
जिस चक्र या प्रभावित अंग को आप साफ कर रहे हैं, वह क्षतिग्रस्त हो सकता है। केवल थोड़ी सी इच्छाशक्ति का प्रयोग कीजिए। यह अति महत्वपूर्ण है और इसे सदैव ध्यान में रखिए।
उक्त विधि चित्र ५.२० में दर्शायी गयी है। (च) छठी विधि बहुत ही अच्छी प्रकार से किसी बहुत गंदे ऊर्जा चक्र की सफाई करने के लिए, यह विधि अपनायी जाती है। चक्र को काल्पनिक तौर पर छह भागों में जैसा चित्र ५.२१ में प्रदर्शित है बांटा गया है: (१) ऊपरी दांया भाग (२) ऊपरी बांया भाग (३) नीचे का बाया भाग (४) नीचे का दांया भाग (५) चक्र का मध्य भाग और (६) चक्र का आन्तरिक भाग जिसमें चक्र के जड़ और तना (The root and the stem of the chakra) हैं।
प्रारम्भ करने के लिए LC द्वारा ऊपरी दांये भाग पर पांच बार स्थानीय झाड़-बुहार रोगग्रस्त ऊर्जा को निकालकर नष्ट करने के लिए कीजिए, फिर इसी प्रकार ऊपरी बाए भाग, नीचे के बांये भाग, नीचे के दाए भाग और मध्य
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