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(क) पहली विधि चक्र या AP पर पांच बार LC से ऊपर से नीचे की ओर सीधी लाइन में झाड़-बुहार करके नपक के घोल वाले बर्तन की ओर क्रम ५ (ख) के अनुसार झटकिए। इसको चित्र ५.१६ में नं 1 विधि से दर्शाया गया है। (ख) दूसरी विधि उक्त (क) के अनुसार, किन्तु सीधी लाइन के स्थान पर हल्के से सर्पाकार गति से करिए। इसको चित्र ५.१६ में नं 2 विधि से दर्शाया गया है। यह (क) से अधिक प्रभावी है। (ग) तीसरी विधि उक्त (क) के अनुसार, किन्तु सीधी लाइन के स्थान पर चौड़े सर्पाकार गति से करिए। इसको चित्र ५.१६ में नं 3 विधि से दर्शाया गया है। यह (ख) से अधिक प्रभावी है। (घ) चौथी विधि LC को चक्र या AP पर कुछ सैकिन्डों तक घड़ी की दिशा में घुमाइये । फिर उस चक्र या AP को स्वच्छीकृत करने के लिए कुछ सैकिन्डों तक घड़ी की उल्टी दिशा में घुमाइये। इस प्रक्रिया में हल्की सी इच्छाशक्ति उपयोग की हुई तथा रोगग्रस्त ऊर्जा को बाहर निकालने की कीजिए और रोगग्रस्त ऊर्जा को नमक के घोल में फैंक दीजिए।
___ यदि प्रभावित चक्र पर ज्यादा घनापन (congestion) है, तो LC को घड़ी की दिशा में घुमाने के तुलना में घड़ी की विपरीत दिशा में अधिक बार घुमाइए। मोटा-मोटा मार्गदशन के रूप में इसे इस प्रकार समझिए कि घड़ी की दिशा से घड़ी की विपरीत दिशा में दोगुने बार घुमाइये! यदि चक्र पर खालीपन (depletion) है, तो घड़ी की विपरीत दिशा से घड़ी की दिशा में दोगुने बार घुमाइए।
इस विधि को चित्र ५.१६ में नं 4 विधि से दर्शाया गया है।