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________________ (घ) ग्रहण करने वाले हाथ में चक्र सक्रियक (CA) एवम् प्रेषण करने वाले हाथ में लेसर रत्न (LC) लेकर उपचार करना-- Healing by taking Chakral Activator on the Receiving Hand and Laser Crystal on the Projecting Hand, बजाय प्रेषण करने वाले हाथ द्वारा झाड़-बुहार तथा ऊर्जन करने के, आप LC का उपयोग कर सकते हैं। इससे रोग ग्रस्त ऊर्जा से संक्रमण काफी कम हो जायेगा। किसी रोगी का उपचार करते समय, CA को ग्रहण करने वाले हाथ पर रखिये और IC को दूसरे हाथ पर रखिए, जैसा कि चित्र ५.१७ में दृश्यत है। CA, LC से ज्यादा बड़ा और ज्यादा भारी होना चाहिए किन्तु यह अत्यावश्यक नहीं है। आम तौर पर CA ऊपर से देखने पर वृत्ताकार (circular) अथवा अनेक समभुजाओं (polygon) वाला होता है। CA एवम LC के उपयोग से आपकी उपचार करने की शक्ति बढ़ जाएगी। स्वच्छीकरण प्रक्रिया तेज होगी और एक रोगी को एक सत्र में कम समय लगेगा। प्राण ऊर्जा को प्रेषित करते समय, उपचारक सफेद ऊर्जा को दृश्यीकृत करके अथवा कुछ भी दृश्यीकृत न करके सफेद ऊर्जा को प्रेषित कर सकता है और रंगीन ऊर्जा को दृश्यीकृत करके रंगीन ऊर्जा प्रेषित कर सकता है। उपचार के पश्चात् LC को अच्छी तरह साफ करना चाहिए, जिसकी विधि अध्याय २६ में दी है। इससे उपचारक तथा अगले रोगी को पिछले रोगी की रोगग्रस्त ऊर्जा द्वारा संक्रमण नहीं होगा। उपचार करने के अन्तराल में भी इसको साफ किया जा सकता है। 'यदि किसी रत्न में एक नोंकदार सिरा है (single terminator) है , तो नोंक वाले सिरे को अपने शरीर की ओर करके रखिए। यदि दोनों ओर नोक (double terminator) हैं तो उसको CA के तौर पर इस्तेमाल न करिए। उपक्रम (ग) में बताए अनुसार पकड़िये।
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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