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________________ (ग) लेसर रत्न को कैसे पक.... How to hold a Laser Crystal इसकी दो विधियां हैं : प्रथम विधि-- लेसर रत्न को अंगूठे, तर्जनी उंगली और मध्यमा उंगली के मध्य में इस प्रकार पकड़ें कि उसका ऊर्जा ग्रहण पारने का सिलसिला मोल मा नोकदार सिरा) हथेली के अन्दर रहे। इस विधि में प्रेषण ऊर्जा हाथ-चक्र एवम् उंगली के चक्रों द्वारा प्रेषित होती है। इसी को H -- H विधि कह दिया गया है, क्योंकि वातावरण से ऊर्जा दूसरे Hद्वारा प्राप्त होगी तथा जिस हाथ में लेसर रत्न पकड़ा हुआ है, उसके द्वारा प्रेषित होगी। द्वितीय विधि- लेसर रत्न को अंगूठे, तर्जनी उंगली और मध्यमा उंगली के मध्य में इस प्रकार पकड़ें कि उसका ऊर्जा ग्रहण करने का सिरा हथेली के बाहर रहे। इस विधि में वातावरण से अथवा अन्य स्रोतों से ऊर्जा सीधे ऊर्जा ग्रहण करने वाले सिरे में प्राप्त होकर, नोंक वाले सिरे से प्रेषण होगी। यदि आपने रत्न को पवित्रीकृत किया हुआ है और अध्याय २६ के क्रम (ग) के अन्तर्गत उपक्रम (२) भाग ४ में वर्णित लेसर रत्न को उपचार के दौरान स्वयमेव ही उपचारक गुरुओं, उपचारक फरिश्तों, प्रकाश के देवों और महान व्यक्तियों से प्राण ऊर्जा ग्रहण निर्देश दिये हुए हैं, तो वे स्वयमेव ही अपने को इन स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा से पुन: चार्ज करते रहेंगे। उपरोक्त दोनों विधियों को चित्र ५.१६ में दिखाया गया है।
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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