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________________ क्रम विषय अध्याय क्रम संख्या करने की कार्य प्रणाली आगे क्रम ७, ८, व ६ में दी गई है, परन्तु मूलतः इसमें अध्याय ४ में वर्णित धारणा लागू होती है। महत्वपूर्ण- आज्ञा चक्र का ऊर्जन | रत्न द्वारा कभी न करें, इससे रोगी की आंख को क्षति पहुंच सकती है। उपचारकको विविध निदेश ५ (झ) से (ढ) तक, (त) से (द) तक, (प) से (ब) तक, (म) से (व) तक रत्न द्वारा ऊर्जन न करना- ४ । ५ (ण) (ध), (न) शिशुओं, बच्चों, बहुत कमजोर और बड़े बूढ़े रोगियों का उपचार ऊर्जन रत्न द्वारा न करें। यह अति महत्वपूर्ण है, अन्यथा विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। आवश्यक्तानुसार साधारण/ उन्नत प्राणशक्ति उपचार ही करें। | बिना जांच किये उपचार- यह ! ४ । रत्न द्वारा न करें, क्योंकि रत्न द्वारा उपचार से तीव्र प्रभाव पड़ता है, अतः यह खतरनाक हो सकता ५.४६५
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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