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________________ अध्याय - ३० रत्नों द्वारा प्राण-शक्ति उपचार Crystal Pranic Healing (१) सलों द्वारा उमार के सिद्धान्त, नियम व कार्यप्रणालीPrinciples and Procedures इसमें अभी तक वर्णित सिद्धान्त, नियम, कार्यशैली, सामान्यतः लागू होते हैं जो सहज सन्दर्भ के लिए नीचे वर्णित है। विषय अध्याय क्रम संख्या | उपयोग के सिद्धान्त सभी | उपयोग | १ से ७ तक, १०, १२, क्रम सामान्य ४ ४ | ५ (क) से (च) तक | हाथ व उंगलियों के ऊर्जा चक्र उपचार करने के लिए स्थान । रोगी की उपचार ग्राह्यता सुनिश्चित करना प्राणशक्ति उपचारक के लिए| निर्देश झाड़ बुहार- रत्न के द्वारा झाड़-बुहार करने की कार्यप्रणाली आगे क्रम ५ व ६ में दी गई है, किन्तु मूलतः इसमें अध्याय ४ में | वर्णित धारणा लागू होती है। | ऊर्जन करना-रत्न के द्वारा ऊर्जन| ४ । ५ (छ) ४ | ५.४६४
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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