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________________ } अध्याय रत्नों का स्वच्छीकरण, ऊर्जन तथा पवित्रीकरण - २६ Cleansing, Energisation and Consecration of Crystals क्रम (१) रत्नों का स्वच्छीकरण- Cleansing of Crystals इसके कई तरीके हैं जो निम्नवत हैं । उपक्रम (१) पानी और नमक- Salt and Water (क) पहली विधि एक लीटर पानी में लगभग एक मुट्ठी भर नमक डालिए और उसे अच्छे प्रकार घुल जाने दीजिए। फिर उसमें रत्न को डाल दीजिए। रत्न की ओर देखते हुए, उसको मौखिक अथवा मानसिक रूप से निर्देश दीजिए कि जब तक वह इस नमक के घोल में है, अपने अंदर की गंदी और रोगग्रस्त ऊर्जा को बाहर निकाल दे। इस नमक के घोल का उद्देश्य यह है कि पानी इस ऊर्जा को सोखने में और नमक उसको टुकड़े-टुकड़े करने को समर्थ है। यह निदेश तीन बार दीजिए । रत्न को इस घोल में तीस मिनट तक पड़े रहने दें। इस समय के बीत जाने पर रत्न की ओर देखते हुए तीन बार यह निर्देश दें कि वह ऊर्जा को बाहर निकालना बन्द कर दे । e.४४६ यदि रत्न उच्च गुणवत्ता का है या बहुमूल्य पत्थर से निर्मित है, तो नमक के घोल के स्थान पर मात्र ठंडा पानी ही इस्तेमाल करें क्योंकि हो सकता है कि नमक उसको क्षति पहुंचा दे। ठंडा पानी के अतिरिक्त इथाइल या मिथाइल एल्कोहोल (Ethyl or Methyl alcohol), अथवा दोनों से भी स्वच्छ किया जा सकता है। अथवा इसके अलावा चन्दन का तेल भी इस उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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