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________________ (ढ.) जिन भवनस्थिति अकृत्रिम जिन भवनों की संख्या अधोलोक | रत्नप्रभा पृथ्वी का खर . ! ७.७२,००,००० भाग मध्य लोक | जम्बू द्वीप सुमेरु पर्वत कुलाचल विजयार्द्ध पर्वत - ३४ वक्षार पर्वत __ - १६ गजदन्त पर्वत - जम्बू शाल्मलि वृक्ष योग । धातकी खण्ड द्वीप | जम्बू द्वीप से दो गुने = पुष्करार्द्ध द्वीप | जम्बू द्वीप से दो गुने - मानुषोत्तर पर्वत नन्दीश्वर द्वीप कुण्डलवर द्वीप रुचकवर द्वीप योग व्यन्तर लोक जगत्प्रतर:-[संख्यातx(३०० योजन) , अथवा जगत्प्रतर-संख्यातx५३०८४१६००००००००००] ज्येतिलोक जगत्प्रतर: (२५६ अंगुल)} : संख्यात ऊर्ध्व लोक | कल्पवासी विमान ८४,६६,७०० कल्पातीत विमान योग ८४,६७,०२३ ४५८ ३२३ १.७९
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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