________________
ऊर्जा को अवशोषित करे, तो वैसा करेगा। यदि कहेंगे कि प्राण ऊर्जा को प्रेषित करो, तो प्रेषित करेगा।
इनकी अपनी कोई इच्छाशक्ति न होने के कारण, उनको अपनी इच्छानुसार निदेश दे सकते हैं, जिसका वह पालन करेगा। किन्तु इसको अधिक निदेश न दें, न इससे जटिल अथवा उलझनात्मक कार्यों को करने के लिए कहें। ऊर्जा चक्रों को सक्रिय करने वाला- Chakral Activator यह चक्रों को सक्रिय करने वाला होता है। यदि इसको चक्र के ऊपर रखा जाए, तो उसको सक्रिय अथवा और अधिक सक्रिय करता है। दिव्य दर्शन से यह भालुम पड़ता है कि चक्र बड़ा हो रहा है, अधिक तेज गति से घूम रहा है और उसमें अधिक ऊर्जा है। यह न केवल उस चक्र को उत्तेजित करता है जिस पर वह रखा हुआ है, अपितु अन्य चक्रों को भी, विशेषकर निम्न चक्रों को उत्तेजित करता है। इसका दृष्टांत चित्र ५.०८ तथा ५.०६ में स्व--स्पष्ट है। इन चित्रों में आप पायेंगे कि रत्न रखने के पश्चात् (१) सभी प्रमुख चक्र बड़े हो गये हैं अथवा अधिक सक्रिय हो गये
(२) उच्च चक्रों के तुलना में निम्न चक्र अधिक बड़े अथवा अधिक
सक्रिय हैं।
आन्तरिक आभा मण्डल बड़ा हो गया है। (४) नीचे का आभा मण्डल ऊपर के आभा मण्डल से अधिक बड़ा
याप रत्नों का चक्रों को सक्रिय करने का प्रभाव पड़ता है, किन्तु दुर्भाग्यवश उसके प्रभाव से नीचे के चक्र ऊपर के चक्रों की तुलना में अधिक सक्रिय हो जाते हैं। इससे यह मतलब निकलता है