SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 893
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अध्याय - २८ रत्न अथवा पारदर्शी पत्थर द्वारा प्राणशक्ति उपचार- सामान्य Pranic Crystal Healing - General (१) प्राणिक रत्न - उपचार पद्धति क्या है ? यह मूलतः रत्न (Crystal) को एक माध्यम, यंत्र, औजार, साधन अथवा उपक्रम के तौर पर उपयोग में लेते हुए प्राणशक्ति उपचार है। (२) रत्नों के तीन अनिवार्य गुण (क) सूक्ष्म ऊर्जा का ग्रहणकर्ता एवम् धारक Condenser Subtle Energy इसका अर्थ यह है कि यह सूक्ष्म ऊर्जाओं (subtle energies) का अवशोषण, स्टोर, प्रेषण और फोकस (किरण केन्द्र पर लाना) (focus) कर सकता है। एक प्रकार से यह पुनः चार्ज के योग्य बैटरी के सम-तुल्य है जो विद्युत ऊर्जा को अवशोषित, स्टोर और मुक्त कर सकती है। (ख) इसके अन्दर इसके अपने कार्यों के कार्यान्वयन को निर्धारण किया जा सकता है- Programmable प्राकृतिक रत्न को दिव्य दर्शन से देखने पर यह दिखाई देता है कि उसमें अन्दर प्रकाश की छोटी-छोटी चिनगारियां होती हैं। यह चिनगारियां या प्रकाश के बिन्दु चेतना की चिनगारियां हैं। यह चेतना का बहुत ही मूल आकार है । कृत्रिम रत्नों में अत्यन्त अल्प चेतना की चिन्गारियां होती हैं, इसलिए प्राकृतिक रत्नों की तुलना में अत्यन्त हीन होते हैं। रत्न की अपनी कोई इच्छाशक्ति नहीं होती। इसलिए निर्विरोध रूप से वह निर्देशों का पालन करता है। यदि आप कहेंगे कि प्राण ५.४२१
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy