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________________ अध्याय – २६ । प्रार्थना द्वारा उपचार- Healing by Prayer (१) सामान्य – General साधारण अभ्यास के रूप में प्राणशक्ति उपचारक अपनी उपचार सम्बन्धी प्रक्रिया प्रारम्भ करने से पहले प्रार्थना करते ही हैं। यह प्रार्थना ईश्वर, आध्यात्मिक गुरुओं आदि को ध्यान में रखकर की जाती है। ऐसे कुछ प्राणशक्ति उपचारक हैं जिन्हें उपचार प्रक्रिया की पद्धति और नियमों की जानकारी न होगी, या अत्यन्त अल्प होगी या समझते न होंगे। उन्हें केवल यह महसूस होता है कि बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा उनके शरीर में बह रही है जिसके कारण उनके शरीर में कम्पन और गति होती है। कुछ प्रार्थना उपचारक अपने शरीर में बहने वाली ऊर्जा को महसूस करने के लिए उतने अधिक संवेदनशील भी नहीं होते होंगे। इससे इस तथ्य में कोई परिवर्तन नहीं आता कि उनका शरीर उपचारी ऊर्जा के लिए एक माध्यम के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता है। प्रार्थना उपचार में आप दो चीजों का निवेदन करते हैं: पहले, आप उपचारी ऊर्जा और अदृश्य आध्यात्मिक तत्व या उपचारी देवदूतों का जो उपचारी ऊर्जा को नियंत्रित या हेरफेर करते हैं; दूसरे, रोगी के जीव द्रव्य शरीर के लिए निवेदन करते हैं जिससे रोगी की सुरक्षा बनी रहे। प्रार्थना उपचार की बातों को ग्रहण करने की इच्छाशक्ति होनी चाहिए जिससे वह सामान्य निर्देशों को बिना गलती के ग्रहण कर सके। जो उपचारक बहुत अधिक इच्छाशक्ति वाले होते हैं, उन्हें प्रार्थना उपचार करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि ऐसे में रोगी के अधिक ऊर्जित हो जाने का खतरा रहता है। यदि रोगी का अन्त समय आ गया है, तो उपचारी देवदूत नहीं आएंगे। सामान्य तौर पर उपचारक को यह बात सहज रूप में पता चल जाती है कि कोई जबाब नहीं मिल रहा है।
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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