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________________ (२) रोगी की ओर मुस्कराइये अथवा स्नेहात्मक दया प्रेषित कीजिए। यह रोगी के साथ तालमेल बैठाने और ग्रहणशीलता को बढ़ाने के लिए है। (३) उपचार की प्रक्रिया का दृश्यीकरण करें, अन्त में अन्तिम परिणाम का। (४) जितने बार जरूरत हो, उतने बार दृश्यीकरण दोहराइये। निदेशात्मक उपचार की आवृति स्थिति पर निर्भर करती है। (ग) दृश्यीकरण के उदाहरण(१) फटे हुए कान के पर्दे के उपचार के लिए कान के छेद पर एक बहुत हल्का नीले रंग के घोल होते हुए और कान के पर्दे को सीते हुए दृश्यीकृत करें। कान के पर्दे को पूर्णरूपेण ठीक होते हुए दृश्यीकृत करें। प्रभावित भाग को निसंक्रमण करने हेतु हल्के नीले रंग का घोल का उपयोग और सीने द्वारा फटे कान के पर्दे को बन्द करना दृश्यीकरण निदेश है। कान के पर्दे का पूर्णरूपेण ठीक हो जाना प्रतीक्षित अन्तिम परिणाम का दृश्यीकरण निदेश है। ट्यूमर के केस में ट्यूमर को सफेद रक्त के कणों द्वारा भक्षण करने का दृश्यीकरण का निर्देश एवम् ट्यूमर का अदृश्य हो जाने का दृश्यीकरण, प्रतीक्षित अन्तिम परिणाम का दृश्यीकरण निदेश है। (घ) चित्रों या फोटों का भी दृश्यीकरण निदेश उपचार में इस्तेमाल किया जा सकता है। रोगी को बार-बार लम्बे समय तक चित्र को देखना होता (ङ) क्षय रोगी यदि स्वस्थ फेंफड़ों को यदि देर तक देखें, तो उनके उपचार की गति बढ़ सकती है। ५.४०३
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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