________________
निगोदिया जीवों का प्रमाण
एक बादर निगोद के शरीर में जीवों का प्रमाण
= अनन्त X ( समस्त सिद्ध जीव + अतीत काल के समय ) एक पुलवि = a. L बादर निगोदिया जीवों के शरीर एक आवास = a. L पुलवि
एक अंडर - a. L आवास
एक स्कंध
स्कंधों का प्रमाण = a. L
इसलिए समस्त निगोदिया जीव ( a. L ) x (aL ) x (a L ) x (al) x (a ) x अनन्त x (समस्त सिद्ध जीव + अतीत काल के समय), यह एक अक्षय अनन्त राशि
है ।
= a. L अंडर
निगोदिया जीव एक श्वास में अठारह बार जन्म लेते हैं और अठारह बार मरण को प्राप्त होते हैं। लोक में सर्वत्र निगोद जीव हैं। ये दो प्रकार के होते हैं- एक नित्य निगोद जो कभी निगोद से न निकले हों और दूसरे इतर (चतुर्गति) निगोद, जो कभी निमोद से निकलकर फिर त्रस पर्याय प्राप्त कर पुनः निगोद में आ गये हों । इतर निगोद की स्थिति अढ़ाई पुद्गल परावर्तन काल है। यदि कोई जीव निगोद से निकलकर २००० करोड़ अद्धा सागर ३ कोटि पूर्व में निर्वाण नहीं पाता, तो पुनः निगोद में जाना पड़ता है। प्रति छह मास आठ समय में ६०८ जीव नित्य निगोद से निकलते हैं और इतने ही जीव मुक्ति को प्राप्त होते हैं। नित्य निगोद में जीवों की संख्या अक्षय अनन्त हैं, इसलिए वह कभी समाप्त नहीं होती ।
एकेन्द्रिय जीवों की संख्या
पृथ्वी कायिक
जल कायिक
"
=
(1+
(1+
1
- ) x अग्निकायिक जीवों का प्रमाण
a.L
1
- ) x पृथ्वीकायिक जीवों का प्रमाण
a.L.
१.७४